Dhaaraa370

Saturday 29 December 2018

An Ode to a Father by his son: A New Year Gift

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An Ode to Father

When no one believed in me, he was there;
He has seen me grow layer by layer.

We all do think sometimes, what do they know;
Well! I did and you,too, I suppose so.

He has seen you from your five to fifteen;
There isn't anything he possibly hasn't seen.

He was awake the whole night, when you didn't sleep;
Well! he didn't tell you. Right? as he had his own secrets to keep.

You do think your life is tougher than they had;
Oh my boy! you have no idea what is to be sad.

When he was earning hundreds,
You got everything you wanted;
When he started earning thousand,
Things were still the same.
Now for being so judgmental; and being so greedy,
Don't you feel so lame.

He taught me, life isn't about moving on;
It is about to stay.
It's about things people don't tell you,
But things he needs to say.

Although I don't believe in God and his preaching;
But if he did ever exist,
He would be my dad with all his teachings.


Friday 28 December 2018

Narendra Modi or Donald Trump: New Delhi or New York City :Who is King?



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Narendra Modi Vs Donald Trump

Name
Shri Narendra Damodar Das Modi
Mr. Donald John Trump
(45th President of USA)
DOB
17 September 1950 (Vadnagar, Gujrat)
June 14, 1946 (New York city)
Family Background

Father

Mother
Son of a Tea Seller


Shri Damodardas Mulchand Modi
Smt. Hiraben Modi 

Son of a businessman


Mr. Frederick Christ Trump
Mrs.  Mary Anne Macleod
Socio Political background
RSS Swayamsewak,
CM of Gujrat
Businessman and
TV Personality
Principal Trait
Considered Right wing and Nationalist
Considered Right wing and Nationalist
Tag Line
America First
Make In India
Pet projects











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No. of tweets as on date

Ownerships

Swachchh bharat, Demonitization, GST, Thrust on creating infrastructure, Digital and cashless economy, zero tolerance on terrorism







@narendramodi

44.9 Million (dynamic figure)


2070 (dynamic figure)


@narendramodi_in

1.97 Million (dynamic figure)


1012 (dynamic figure)



21.8 K and 30.7 K


Prime Minister Narendra Modi possesses assets worth over Rs 2 crore. As on March 31 this year, PM Modi’s movable assets stood at Rs 1,28,50,498. Among his movable assets, the PM had Rs 48, 944 cash in hand. He had Rs 11,29,690 at a State Bank of India branch in Gandhinagar. PM Modi has fixed deposits and a MOD (Multi Option Deposit) worth Rs 1,07,96,288.
Tax reform, repeal of Obama care, Travel Ban from seven Muslim country, Withdrawal from 2015 Paris agreement on climate change mitigation, zero tolerance on terrorism, building a wall along America border with Mexico


@realDonaldTrump

56.6 Million (dynamic figure)

45 (dynamic figure)


@POTUS

24.8 Million (dynamic figure)

39 (dynamic figure)


40.1 K and 4736 




He owned the Miss Universe and Miss USA beauty pageants from 1996 to 2015

He was appointed president of his family's real estate business in 1971, renamed it The Trump OrganizationTrump Tower  and expanded it from Queens and 
Brooklyn into Manhattan
Trump Organization entities own, operate, invest in, and develop residential real estate, hotels, resortsresidential towers, and golf courses in various countries.They also operate or have operated in construction, hospitality, casinos, entertainment, book and magazine publishing, broadcast media, model management, retail, financial services, food and beverages, business education, online travel, commercial and private aviation and beauty pageants.Trump Organization entities also own a New York television production company that produced the reality television franchise The Apprentice.



Wednesday 26 December 2018

धर्मनिरपेक्षता का राजनीतिकरण:Politicization of Secularism

धर्मनिरपेक्षता
"धर्मनिरपेक्षता" शायद "सेक्स" शब्द के बाद दूसरा शब्द है जो हिंदुस्तान में बोलचाल में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है. कभी कभार तो ऐसा माहौल बन जाता है जैसे कि देश में प्रजातंत्र खतरे में है और अगर इसे नहीं बचाया गया तो यहाँ भी फासीवाद लागू हो जाएगा.

हालाँकि, थोड़े से अध्ययन के पश्चात जो मुझे समझ में आया वो मैं तथ्य के साथ रखने कि कोशिश कर रहा हूँ. धर्मनिरपेक्षता कि जब भी बात आती है तो हमारे समझ में एक हीं बात आती है कि अल्पसंख्यकों के  धार्मिक आजादी पर आघात हो रहा है. फिर अल्पसंख्यकों
कि बात आती है तो बात सामान्य तौर पर मुस्लिम समाज से जुड़ कर रह जाती है. जब कि सच यह है कि हिन्दू हिंदुस्तान के ६ राज्यों में अल्पसंख्यक हैं और सिख, इसाई, जैन, बुद्ध और पारसी तो लगभग हर राज्य में अल्पसंख्यक हैं. तो फिर ऐसी क्या बात है कि अल्पसंख्यक और मुसलमान समानार्थी हो गए हैं, धर्मनिरपेक्षता सिर्फ इन्हीं दो धर्मों के बीच उलझ कर रह गया है?

अगर हम इस तरह के चर्चाओं /घटनाओं का विश्लेष्ण करें तो एक बात स्पष्ट समझ में आने लगती है कि इस तरह के चर्चा गरम होने का वक्त भी निश्चित होता है और स्थान भी.  और इसका  सीधा सम्बन्ध राजनीति से होता है ना कि धर्मनिरपेक्षता से.

इसे समझने के लिए सर्वप्रथम हमें हिंदुस्तान के जनसँख्या वितरण को समझना होगा. आइये देखें हमारे देश में विभिन्न धर्मों का राज्यवार  जनसँख्या वितरण कैसा  है?



राज्य  धार्मिक बहुलता  हिन्दू  मुस्लिम 
Mizoram क्रिस्चियन  2.75% 1.35%
Sikkim हिन्दू 57.76% 1.62%
Punjab सिक्ख  38.49% 1.93%
Arunachal Pradesh क्रिस्चियन 29.04% 1.95%
Chhattisgarh हिन्दू 93.25% 2.02%
Orissa हिन्दू 93.63% 2.17%
Himachal Pradesh हिन्दू 95.17% 2.18%
Nagaland क्रिस्चियन 8.75% 2.47%
Dadra and Nagar Haveli हिन्दू 93.93% 3.76%
Meghalaya क्रिस्चियन 11.53% 4.40%
Chandigarh हिन्दू 80.78% 4.87%
Tamil Nadu हिन्दू 87.58% 5.86%
Puducherry हिन्दू 87.30% 6.05%
Madhya Pradesh हिन्दू 90.89% 6.57%
Haryana हिन्दू 87.46% 7.03%
Daman and Diu हिन्दू 90.50% 7.92%
Goa हिन्दू 66.08% 8.33%
Manipur हिन्दू 41.39% 8.40%
Andaman and Nicobar Islands हिन्दू 69.45% 8.52%
Tripura हिन्दू 83.40% 8.60%
Rajasthan हिन्दू 88.49% 9.07%
Andhra Pradesh हिन्दू 88.46% 9.56%
Gujarat हिन्दू 88.57% 9.67%
Maharashtra हिन्दू 79.83% 11.54%
Delhi हिन्दू 81.68% 12.86%
Karnataka हिन्दू 84.00% 12.92%
Uttarakhand हिन्दू 82.97% 13.95%
Jharkhand हिन्दू 67.83% 14.53%
Bihar हिन्दू 82.69% 16.87%
Uttar Pradesh हिन्दू 79.73% 19.26%
Kerala हिन्दू 54.73% 26.56%
West Bengal हिन्दू 70.54% 27.01%
Assam हिन्दू 61.47% 34.22%
Jammu and Kashmir मुस्लिम  28.44% 68.31%
Lakshadweep मुस्लिम  2.77% 96.58%

अब अगर धार्मिक विवादों का भौगोलिक विश्लेषण करेंगे तो पायेंगे कि उन राज्यों में जहाँ मोटा मोटी मुस्लिम जनसँख्या १०% या उससे ऊपर हैं (अर्थात जहाँ राजनितिक समीकरण में फेरबदल करने कि उनकी क्षमता है ) वहां ऐसे मुद्दे ज्यादा उठते हैं. तो क्या बाकी राज्यों में धर्मनिरपेक्षता कि समस्या नहीं है या  फिर यह मुद्दा राजनीतिक बिसात में फिट नहीं बैठता है?

सच तो यही है कि राजनीतिक दल अपनी रोटी सेंकने के लिए मासूम जनता को धार्मिक आधार पर बांटने कि कोशिश करती है और इसमें काम आते हैं वो एजेंट जो विभिन्न धार्मिक समुदाय के करीबी होने का दावा ठोंकते हैं. ऐसे एजेंटों को उनके ताकत अनुसार विधायक या सांसद का पद मिल जाता है, नहीं तो पार्षद या किसी समिति का अध्यक्ष तो बन ही जाते हैं. मरती है वो जनता तो इनके कुत्सित जाल में फंस जाती है. 

दंगे फसाद जब भी होते हैं, उसमे मरते कौन हैं? उसमे वो लोग मरते हैं जो अपने आपको सामान्य शहरी मानते हैं. चाहे वो इस धर्म के हों या उस धर्म के. कुछ असामाजिक तत्त्व क़ानून को अपने हाथ में इसलिए लेने में सफल हो जाते हैं क्यूंकि हम उन्हें रोकने में अपनी भूमिका नहीं निभाते. हम सामान्य शहरी घटनाओं को मूर्तरूप लेने देते हैं और फिर अपने द्वारा खोदे गए कब्र में खुद दफ़न हो जाते हैं या अपने हीं लगाये गए आग में भस्मीभूत हो जाते हैं. 

वक्त के चाल को समझें और अपने आपको राजनितिक शिकार होने से बचाएं. नाम कोई भी ले लें इन्हें न तो हिन्दू धर्म की रक्षा से लेना है न मुस्लिम धर्म की रक्षा से. जरुरत है कि अगर कोई हिन्दू उठकर यह कहे कि मुसलमानों का सफाया करके हीं हिन्दू धर्मं कि रक्षा हो सकती है तो उसका विरोध करना चाहिए और अगर कोई मुसलमान  यह कहे कि १५ मिनट में हम हिन्दुओं का सफाया कर देंगे तो उसका भी विरोध करना चाहिए. 

सरकारें आएँगी जायेंगी, राजनीतिक समीकरण बदलता रहेगा लेकिन देश हर हाल में चलते रहना चाहिए.
जय हिन्द

Saturday 22 December 2018

An Open Letter to Nasiruddin shah


माननीय नसीरुद्दीन साहेब,
जय हिन्द,
डर, वो डर जो आज आपको लग रहा है, ऐसा नहीं है कि सिर्फ आपको लग रहा है, ऐसा भी नहीं कि सिर्फ आज हीं लग रहा है.

डर तो सदियों  से हीं कायरों का आभूषण रहा है. जरा याद कीजिए  सिकंदर के भारत आक्रमण को. जो शान से उस आतंक के सामने खड़ा रहा था वह राजा पोरस थे और आज भी हम उन्हें शान से याद करते हैं. जो डर गए उन्हें कौन अपने दिल में जगह देता है आज. हार या जीत अलग विषय है, मुद्दा तो ये है कि हम किसके साथ और किसके खिलाफ खड़े थे.
याद मुगलों के आक्रमण को भी करिए, ना जाने कितने लोग गाजर मुली कि तरह काट दिए गए, कितने लोग उस आंधी के सामने हिमालय कि तरह अड़े रहे, कितने लोग डर के कारण उनकी सरपरस्ती स्वीकार कर उनके गुलाम हो गए. जो अड़े रहे उन्हें घास कि रोटियां खानी पड़ी, बच्चों को भूख प्यास से तड़पते देखना पड़ा, उन्हें अपने बच्चों को दीवारों में जिन्दा दफ़न होते देखना पड़ा, लेकिन आज हम उन  महाराणा और गुरु गोविन्द सिंह जी के याद मात्र से विश्वास और जोश से भर जाते हैं. और जो डर गए थे उनकी जगह इतिहास के काले  पन्नों में कहाँ दफ़न हो गए जिसका कोई अता पता भी नहीं है.

याद अंग्रेजों के आक्रमण को भी करिए, जब हिन्दुस्तानियों को जानवरों से भी बदतर समझा जाता था, विरोध के हर स्वर को कुचल दिया जाता था. उस डर के माहौल में मंगल पाण्डेय, लक्ष्मी बाई, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, खुदी राम बोस. रामप्रसाद बिस्मिल, गाँधी जी, लाल - बाल- पाल जैसे महान देशभक्तों ने अपने बच्चे अपने परिवार के लिए डर नहीं रहे थे बल्कि देश की आजादी के लिए  कुर्बानियां दे रहे थे. आज हम उन्हें सर माथे पे बिठाते हैं, इसलिए नहीं कि वो आपकी तरह डर का बेमौसम ढोल बजा रहे थे बल्कि इसलिए कि डर को हटाने के लिए कुर्बानियां दी थी.

भागलपुर दंगे, आपातकाल, ८४ के सिखों का नरसंहार, गोधरा काण्ड, २००२ के दंगे, मुंबई बम ब्लास्ट, संसद पर हमला, सिपाही औरंगजेब कि हत्या, पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित की मस्जिद के बाहर मोब लिंचिंग, निर्भया काण्ड, मुंबई में फूटपाथ पर सो रहे कई लोगों की गाड़ी से कुचल कर हत्या, हाल ही में कर्नाटक में उजागर हुए ५२ दलितों एवं आदिवासियों के ऊपर निर्मम अत्याचार एवं यौन शोषण का मामला को भी याद कीजिए.
देश में दंगे, हत्या, बलात्कार, शोषण होता रहा है और शायद होता भी रहेगा यदि हम इन घृणित अपराधों को  दलीय, जातीय, क्षेत्रीय, और धार्मिक चश्मों से देखना बंद नहीं करते और इन दंगाइयों, आतंकियों के बचाव में खड़े होना बंद नहीं करेंगे. लेकिन आप तो इनके बचाव में अदालत तक पहुँच जाते हैं और फिर कहते हैं कि हमें डर लगता है. आप डर की खेती करेंगे और सुरक्षा कि फसल काटना चाहेंगे तो कैसे होगा नसिर साहेब.

आप तो मुंबई के पौश इलाके में सुरक्षित रहते हैं, आपके एक बयां से देश में राजीनीतिक भूचाल आ जाता है तब तो आपको इतना डर लगता है. जरा उनकी सोचिये जिनकी चीख और चिल्लाहट ट्रेन के बंद डिब्बे में जलकर खाक हो गई थी, उनकी सोचिये जिन परिवारों को अलग अलग सालों में अलग अलग समुदायों के द्वारा घर के अन्दर जला दिया गया था, जरा सोचिये उन ५२ दलितों एवं आदिवासियों के बारे में जिन्हें पिछले तीन सालों से गुलामों के तरह काम लिया जा रहा था, मेहनताने के रूप में एक जुन कि रोटी नसीब नहीं थी, ऊपर से  महिलायों का यौन शोषण किया जा रहा था. क्या हाल होता होगा उन मासूम बेटियों का जब हंटर वाले अंकल रात को दरवाजे के अन्दर घुसते होंगे.

लेकिन आपको मुद्दों से क्या लेना, आप तो डर की खेती कर राजनितिक मंडियों में बेचनेवालों में से हैं.  आप एक जिम्मेदार नागरिक बनिए खुद व खुद देश सुरक्षित लगने लगेगा और कहीं खतरा आया तो हम मिल जुल कर निबट लेंगे. अपने बच्चों के लिए कब तक लगे रहेंगे, आइये उन बच्चों के लिए सोचें, बोलें , करें ; जो असहाय हैं, गरीब हैं, भूखे हैं, अशिक्षित हैं.
जय हिन्द
एक आम भारतीय 



Monday 10 December 2018

Constitution of 21st Century: २१ वीं सदी का संविधान







२१ वीं सदी का संविधान

हम भारत के लोग, भारत को विश्वगुरु बनाने की शपथ लेते हैं और संकल्प लेते हैं कि २१वीं सदी के संविधान के निम्नलिखित अनुदेशों का पालन करेंगे :

१.  हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे.

२.  शरीर को भगवान का मंदिर समझकर आत्म-संयम (self restraint) करेंगे और नियमितता (regularity) द्वारा आरोग्य (health) की रक्षा करेंगे.

३.  मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाये रखने के लिए स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रखे रहेंगे.

४.  इन्द्रिय-संयम, अर्थ संयम, समय-संयम और विचार-संयम का सतत अभ्यास करेंगे.

५.  अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना हित समझेंगे.

६.  मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे.

७.  समझदारी, इमानदारी,जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन अंग मानेगें.

८.  चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी, एवं सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे.

९.  अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे.

१०.       मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं, योग्यताओं एवं विभूतियों को नहीं, उसके सद्विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे.

११.       नर-नारी परस्पर पवित्र दृष्टि बनाए रखेंगे.

१२.       संसार में सत्प्रवृतियो के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय, प्रभाव, ज्ञान, पुरुषार्थ एवं धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगे.

१३.       परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्व देंगे.

१४.       सज्जनों को संगठित करने, अनीति से लोहा लेने और नवसृजन की गतिविधियों में पूरी रूचि लेंगे.

१५.       राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान रहेंगे. जाति, लिंग , भाषा , प्रान्त, संप्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव नहीं बरतेंगे.

१६.       मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप हैं, इस विश्वास के आधार पर हमारी मान्यता है की हम उत्कृष्ट बनेंगे और दूसरों को श्रेष्ठ बनायेंगे, तो युग अवश्य बदलेगा

१७.       हम बदलेंगे- युग बदलेगा,
हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा, इस तथ्य पर हमारा पूर्ण विश्वास हैं.

--युगप्रवर्तक श्री राम शर्मा आचार्य




Friday 7 December 2018

अभिव्यक्ति की आजादी: जे एन यु विचारमंच





जेएनयू, नालंदा, नेहरू और भारत: ये चारों विषय इतनी विशालता और महत्ता समेटे हुए है कि मेरे जैसा एक अदना सा भूतपूर्व सैनिक कुछ लिखने की हिम्मत बटोरे, वह अपने आप में एक उपलब्धि है. ऊपर से इस विषय को जिन गुणी एवं प्रतिभावान लोगों ने लिखा अथवा शेयर किया है, उनकी जानकारी की तुलना में मैं बिल्कुल तुच्छ ज्ञान रखता हूँ, फिर भी २२ वर्ष सेना में रहने के कारण देश की बात जब भी आती है, थोडा जज्बाती हो जाता हूँ और फिर मचलते विचार खुद ब खुद अँगुलियों को "तेज चल" का आदेश देने लगता है.
परम आदरणीय Premkumar Mani  ( एक खबर के हवाले से कहते हैं कि "जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में कल 5 दिसम्बर को सुबह नौ बजे आरएसएस संरंक्षित स्वदेशी जागरण मंच की श्रीराम मंदिर संकल्प रथयात्रा जत्थे ने प्रवेश किया और हलचल मचा दी . कोई घंटे भर परिसर की वीथियों पर इस जत्थे या जुलूस ने मार्च किया और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जमकर नारेबाजी की . जुलूस और नारेबाजी जे एन यू के लिए आम बात है . नयी बात (नहीं) है "


तो जनाब नयी बात क्या है?

मैं बताता हूँ ," नई बात क्या है?
नयी बात यह है कि सोचने एवं बोलने की आजादी के पैरोकार विद्यार्थी, शिक्षक, एवं बंधुगण मानते हैं कि यह आजादी सिर्फ और सिर्फ "भारत तेरे तुकडे होंगे, इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह" "अफज़ल तेरे कातिल जिन्दा हैं, तब तक हम शर्मिंदा हैं" के नारों तक ही सीमित रहे,, "भारत माता की जय" तक ना पहुंचे.
विचारों की आजादी मार्क्सवाद, लेनिनवाद तक हीं सीमित रहे, महर्षि पतंजलि, महर्षि चरक, महर्षि विश्वामित्र तक न पहुंचे.
विचारों की आजादी, मां दुर्गा को एक वेश्या के रूप में पेश करने तक रहे, मां दुर्गा को एक सामूहिक शक्ति पुंज, अनाचारियों के विनाशक के रूप में पेश करने तक न जाए,
विचारों की आजादी देश के प्रधानमंत्री के आलोचना तक ही सीमित रहे, उनके आलोचकों के आलोचना तक न पहुंचे.
और अगर इनमे से एक भी हुआ तो आप विचारों की आजादी के हत्यारे हैं. क्यूँ साहेब सही है न.

आप लोगों की तरह हम कलम के सिपाही तो हैं नहीं कि लच्छेदार शब्दों के मकडजाल में मासूम मकड़ियों को फंसा सकें, हम तो बन्दुक के सिपाही हैं और हो सकता है शब्दों के रण में आपसे पीछे रह जाएँ लेकिन इस अपंगता के डर से हम चुप बैठेंगे ऐसा तो कतई न होगा.


नेहरू जी की बिटिया और उसके प्रशंसक ने बड़े अरमान से जे एन यु बनाई होगी और उसका हम सब सम्मान करते हैं, पर एक सवाल है आप गुणी लोगों से- कृपया यह बताएं कि आम जनता (आप विशेष गुणी जनों को छोड़कर) इस विश्वविद्यालय को किसके नाम से जानती है? कन्हैया, अनिर्बान और उम्र खालिद जैसे विद्यार्धियों के नाम से,भारत तेरे टुकडे होंगे जैसे नारों के नाम से. जानता है उनके उन विवादित बोलों से जो उनके ही विश्वविद्यालय से डिग्री लिए फ़ौज के अधिकारिओं के खिलाफ होता है.
और दावे के साथ कह सकता हूँ कि नेहरु जी की बिटिया और उनके प्रशंसकों के ये तो अरमान नहीं ही रहे होंगे.
आप कहते हैं , " नेहरू के लिए प्राचीन भारतीय इतिहास का अर्थ राम -कृष्ण -शिव नहीं था ; उनके लिए इतिहास का मतलब बुद्ध -अशोक - आर्यभट्ट था या फिर अश्वघोष -कालिदास - कबीर या फिर सभ्यताओं के उत्थान और पतन की गाथाएं अथवा इतिवृत्त."
तो क्या आपकी विचारों की उड़ान नेहरू और उनके किताबों की रचना तक जाकर रुक जाती है, थक जाती है. और अगर ऐसा है तो क्या आप हमें भी विचारों की गुलामी नहीं सिखा रहे हैं. आप तत्कालीन शाशकों के भाट-चरण गिरी नहीं कर रहे हैं.

हम तो वो हैं जो, सत्य की खोज के लिए क्षितिज के क्षितिज तक जाने की बात करतें हैं, हम तो वो हैं जो सत्यम, शिवम्, सुन्दरम तक जाने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो एको अहम् बहुस्यामः की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो कृष्ण की गीता से जीवन के सूत्रों की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो महर्षि पतंजलि के योग सूत्रों से जीवन को सजाने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो महर्षि चरक के प्रकृति के साहचर्य बनकर स्वस्थ बने रहने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो भौतिक विज्ञान से ऊपर चेतना विज्ञान की बात करते हैं पर आप के लिए ये सब बेमानी बातें हैं और हो भी क्यूँ नहीं. आपने कभी अपने पूर्वजों को ज्ञानवान समझा हीं कहाँ है, आपके लिए तो सारे ज्ञान पश्चिम के पुस्तकों और विद्वानों के मस्तिष्क में भरा हुआ है, हम तो ठहरे पैदायशी अनपढ़, अज्ञानी, सांप संपेरों वाला देश.
जय हिन्द

How to apply for enhanced Pension (EPS95) on EPFO web site: Pre 2014 retirees

                 Step wise guide A) Detailed steps. 1. Open EPFO pension application page using the link  EPFO Pension application The page ...