२१ वीं
सदी का संविधान
हम भारत
के लोग, भारत को विश्वगुरु बनाने की शपथ लेते हैं और संकल्प लेते हैं कि २१वीं सदी
के संविधान के निम्नलिखित अनुदेशों का पालन करेंगे :
१. हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को
अपने जीवन में उतारेंगे.
२. शरीर को भगवान का मंदिर समझकर आत्म-संयम (self restraint) करेंगे
और नियमितता (regularity) द्वारा आरोग्य (health) की रक्षा करेंगे.
३. मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाये रखने के लिए
स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रखे रहेंगे.
४. इन्द्रिय-संयम, अर्थ संयम, समय-संयम और विचार-संयम का सतत
अभ्यास करेंगे.
५. अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना
हित समझेंगे.
६. मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक
कर्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे.
७. समझदारी, इमानदारी,जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन
अंग मानेगें.
८. चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी, एवं सज्जनता का वातावरण
उत्पन्न करेंगे.
९. अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता
को शिरोधार्य करेंगे.
१०. मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं, योग्यताओं एवं
विभूतियों को नहीं, उसके सद्विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे.
११. नर-नारी परस्पर पवित्र दृष्टि बनाए रखेंगे.
१२. संसार में सत्प्रवृतियो के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय,
प्रभाव, ज्ञान, पुरुषार्थ एवं धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगे.
१३. परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्व देंगे.
१४. सज्जनों को संगठित करने, अनीति से लोहा लेने और नवसृजन की
गतिविधियों में पूरी रूचि लेंगे.
१५. राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान रहेंगे. जाति, लिंग
, भाषा , प्रान्त, संप्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव नहीं बरतेंगे.
१६. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप हैं, इस विश्वास के आधार
पर हमारी मान्यता है की हम उत्कृष्ट बनेंगे और दूसरों को श्रेष्ठ बनायेंगे, तो
युग अवश्य बदलेगा
१७. हम बदलेंगे- युग बदलेगा,
हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा, इस तथ्य पर हमारा
पूर्ण विश्वास हैं.
--युगप्रवर्तक श्री राम शर्मा आचार्य
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