Dhaaraa370

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Wednesday 17 April 2019

Kanhiaya a framed personality




मोदी और शाह से देश को बचाना है 

आज हिंदुस्तान एक विचित्र राजनीतिक दौर से गुजर रहा है. देश को बचाने के लिए मानों राजनेताओं में होड़ लगी है. रंगमंच सजा हुआ है. सारे नौटंकीबाज अपने अभिनय से जनता को कुप्रभावित करने की पूरी कोशिश में लगे हैं.सब लोग हड्डी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.

देशप्रेम के इस रोमांचक दौड़ में सबसे आगे और सबसे अभागे भी हैं, आपके धरती के सबसे बड़े लाल ...सलामी, प्रखर,प्रचंड एवं महा प्रपंची डॉक्टर कन्हैया कुमार. सुना है बचवा देश के बेगुसराय बार्डर पर देश बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. अपने जिग्नेशों,अनिर्बानों और उम्र खालिदों को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए दिए गए भाषण में जब वो बोल रहे थे, मेरे तो कान के आँखों से अविरल आंसू के धार बहने लगे. सेनापति जी कह रहे थे, “ आज लड़ाई पार्टी बचाने की नहीं हैं बल्कि देश के संविधान बचाने की है, लड़ाई लाल झंडा बचाने की नहीं है बल्कि तिरंगा झंडा बचाने की है, पार्टी आएगी जायेगी पर देश बचना चाहिए. ओह !इतना ओजस्वी और देशप्रेम से ओतप्रोत भाषण.

सच कहें बउआ  आप जे एन यु प्रांगण का याद दिला दिए. क्या फिजां था, क्या समां था क्या देशप्रेमियों का जमघट था.

‘बस रे बाऊ करेजा निकाल के कटोरा में रख दिए हो तुम “
एक बार तो  अफजलवो सोच रहा होगा कि कमिनागिरी का ये वाला पाठ तो हमने इसको सिखैवो नै किये थे.

असुर राज अपने गुरु शुक्राचार्य को अपने घर में पाकर भावुक हो गए. गुरु और शिष्य के लोमड़ मिलाप के दौरान हो रहे विधवा विलाप को देखकर पाताल लोक में उनके वंशजों का दुःख और कई गुना बढ़ गया होगा. असुरराज कह रहे थे, क्या कहें गुरुदेव बेगुसराय के घर घर में फ्रेम्ड सवाल पहले से हीं पहुंचा दिए गए हैं. जहाँ भी जाता हूँ सब मुझे देशद्रोही कह कर पुकारते हैं, टुकडे टुकडे गैंग कह कर दुत्कारते हैं. आप हीं बताइए ये भी कोई तरीका होता है चुनाव लड़ने का.

आइये कलियुगी कन्हैया के अन्दर झांक कर देंखें कि ये आखिर ऐसा है तो क्यूँ हैं?

हजारों दलितों के ऊपर अत्याचार होते रहे, कर्णाटक में दलित मजदूरों को बंधक बनाकर शारीरिक शोषण होता रहे, मध्यप्रदेश आदिवासी महिला को प्रताड़ित किया जाता रहे, आगरा में दलित को मार कर फेंक दिया जाए, इसको कोई फर्क नहीं पड़ता बाद एक रोहित वेमुला कह दिया कि दलित प्रेम प्रदर्शन का सारा कोटा पूरा.
हिंदुस्तान में कई पत्रकारों कि हत्या हो गई, सिवान में बाहुबली सहाबुद्दीन के द्वारा पत्रकार राजदेव रंजन की दर्दनाक हत्या करावा दि गई, कोई बात नहीं, उसका चर्चा नहीं करेंगे बस गौरी लंकेश कि हत्या पर घडियाली आंसू बहा कर अपनी राजनितिक रोटी सेंकते रहेंगे.
मोहम्मद अयूब पंडित, एक पोलिस अधिकारी  जम्मू में मस्जिद के बाहर लिंच कर मार दिया गया, रेशमा को उसके घर में घुसकर इसके टुकडे प्रेमी गैंग के आतंकवादियों ने घर में चाय भी पिया और गोलियों से भून दिया, उसकी कोई चर्चा नहीं, कोई चिंता नहीं. बस अखलाक कि चर्चा करके अल्पसंख्यक प्रेमी बनने कि नौटंकी करते रहेंगे.
अरे तुमसे ज्यादा फ्रेम्ड तो कोई हो नहीं सकता कन्हैया. लेकिन याद रखना ये जे एन यु नहीं बेगुसराय है,

यहाँ के छौडन भींगाता है, तब धोता है और आखिर में सूखाता भी है.
गर्मी तो महसूस कर हीं रहे होगे.

Wednesday 3 April 2019

Manifesto of INC seen from a lighter point of view



घोषणा पत्र पर एक व्यंग्य


देखिए भैया, हम देश को नहीं छोड़ेंगे, बिलकुल नहीं छोड़ेंगे, देशवाशियों को भी नहीं छोड़ेंगे. जी हाँ इस हाल में बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे इस लिए लेकर आयें हैं. वही पुरानी, जानी पहचानी शराब एक नए बोतल में.

KAAM-
दिन में चरवाहा का और रात में बैंड बजाने का काम हम सभी शिक्षित नागरिकों को देंगे, इसमें किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए. हम ये भी कोशिस करेंगे कि गैर कां  ग्रेस शासित प्रदेश की सरकारें भी इसे लागू करें.इससे देश की बेरोजगारी देखते हीं देखते उड़न छू हो जायेगी. “हर हाथ को काम” हमारा नारा था, है और सदियों तक रहेगा.

DAAM-  
७२००० रुपये प्रति वर्ष या ७२००० रुपये प्रति माह या ७२००० करोड़ प्रति माह. अभी थोड़ी कनफूजन है. सत्ता में आते हीं दूर कर देंगे. अपनी भी और आपकी भी. “गरीबी हटाओ” नारा से मेरा खानदानी रिश्ता रहा है इसलिए ये विषय मेरे दिल के बहूत करीब है.

SHAAN
आप जब चाहें, जहाँ चाहें, जैसे चाहें,
“ भारत तेरे टुकडे होंगें- इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह” का नारा शान से लगा सकेंगे,
 कोई मां का लाल पैदा नहीं हुआ जो आपको रोक ले, हमारे  सत्ता में रहते. अफजल गुरु, दाउद इब्राहीम, मसूद अजहर, हाफिज सईद जैसे शान्ति दूतों के जन्म दिवस या पुण्य तिथि (उनके जो ७२ हूरों के पास चले गए हैं) आप सरकारी खर्चे और सुरक्षा में मना सकते हैं.
सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन तो मैंने आपको पहले हीं दे दिया था, अब अर्ध सैनिक बलों  को भी देंगे.
काश्मीर और अन्य आतंक प्रभावित इलाके से ज्यादातर सैनिकों को वापस बुलाएँगे, तमाम वैसे कानूनों को निरस्त करेंगे जिससे आतंकवादियों के हौसले को पस्त करता हो, अरे वो भी इंसान हैं, उन्हें भी पूरी आजादी है अपने विचार को लागू करवाने की, चाहे उसके लिए नागरिकों की हत्या हीं क्यूँ न करना पड़े, चाहे उसके लिए सैनिकों को गोली और पत्थर क्यूँ ना खाना पड़े. आतंकियों के मानवाधिकार की  सुरक्षा की पूरी गारंटी ली जायेगी. आखिर हमें विदेशों को जबाब देना पड़ेगा.
राष्ट्र का क्या है? बनता बिगड़ता रहता है.
 अब आप हीं देखिये- अखंड भारत आज भारत और पाकिस्तान बना हैं कि नहीं. अगर आगे और भी इस तरह के फैसले लेने पड़े तो हमारी पार्टी बिलकुल पीछे नहीं हटेगी, हम सुनिश्चित करेंगे कि अब्दुल्लाह साहब की मांग पर जम्मू एवं काश्मीर को अलग देश घोषित किया जाय और वहां के अलग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हों,ममता दीदी के मांग पर पश्चिम बंगाल और वामपंथियों के मांग पर केरला को भी स्वंतंत्र राष्ट्र घोषित किया जाएगा.
पर ये सब तभी हो सकता है 
                     जब आप लोग, जिन्हें ये सब चाहिए, 
मुझे वोट देकर प्रधानमंत्री बनायें, 
वरना मोदीराज में तो इसकी कल्पना करना भी गुनाह है. 
अरे इनकी बस चले तो पाकिस्तान और बांग्लादेश को भारत में मिला लें. 
अरे ये लोग तो मानवाधिकार के दुश्मन हैं दुश्मन.

SUSHANSAN
आपको पूर्ण भरोसा दिलाते हैं कि बोफोर्स, कॉमनवेल्थ, २जी, ३जी, से भी बड़े बड़े घोटालों को अंजाम देंगे और ट्रस्ट के माध्यम से देश की संपत्ति को अपनी संपत्ति बनायेंगे. हमारा पिछला रिकॉर्ड देखकर आपको हम पर भरोसा करना चाहिए. 
हम जो कहते हैं वो करते हैं. 
जब एक गाँधी की हैसियत मात्र में, मैं प्रधानमंत्री के बनाये अधिनियम को भी फाड़कर डस्ट बिन में फेंकने का माद्दा रखता हूँ तो समझ ही सकते हैं कि बाकी संस्थाओं की हालत कैसी कर देंगे, जब हम हीं प्रधान मंत्री रहेंगे. विश्वास मानिए किसी की नहीं, बस मां-बेटा, जीजा-दीदी के अलावा किसी और की चलने नहीं देंगें. ये हमारा वादा है.

SWABHIMAN
हम मम्मी और दीदी को देश के महत्वपूर्ण पदों पर बिठाकर देश की महिलायों का सम्मान में चार चाँद लगा देंगे. मैं ब्राह्मण बनकर , मुस्लमान बनाकर, पिछड़ा एवं दलित (All in one)  बनकर देश के प्रधानमंत्री पद पर जब बैठूँगा तो ये सारे भेद एक बार में हीं मिट जायेंगे. देश के ब्राह्मण खुश, अल्पसंख्यक खुश, पिछड़े एवं दलित खुश कि उनकी विरादरी का व्यक्ति आज देश का प्रधानमंत्री बना हुआ है. इससे सामजिक सौहार्द मजबूत होगा क्यूंकि आप शान से गा सकेंगे:

“तुझमें सब दिखता है, जानां हम क्या करें”

SAMMAN
आपके उत्तम स्वस्थ्य के हित में मोदी जी के आयुष्मान भारत योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर देंगे. अरे ये भी कोई बात हुई हर गरीब अच्छे से अच्छे अस्पताल में मुफ्त इलाज करवाए. इससे उनके अन्दर  काम करने की और पैसे कमाने की अहमियत हीं खत्म हो जायेगी.
शिक्षा के अंतर्गत हम ऐसी बदलाव लायेंगे जिसके माध्यम से आप समझ पायेंगे कि आपके पूर्वज किस प्रकार अज्ञानी और मूढ़ थे जिसे बाहरी शासकों, खासकर मुगलों और अंग्रेजों ने जंगली से इन्सान बनाया ताकि आप अपनी औकात में बने रहें.
जहाँ तक सफाई की बात है तो तत्काल प्रभाव से नमामि गंगे, स्वच्छ भारत अभियान, खुले में सौच मुक्त भारत जैसे मोदी जी के प्रिय कार्यक्रमों को निरस्त करेंगे. अरे यार मोदी जी समझते नहीं, इस तरह के योजना से लोगों के खुले में सोच करने की आजादी भंग होती है और हम ये कतई बर्दास्त नहीं करेंगे. आपके सम्मान के लिए हमें जो भी करना पड़े करेंगे जरुर.

Disclaimer: This is just a parody and has no intent to malign image of any person or organization.



Friday 7 December 2018

अभिव्यक्ति की आजादी: जे एन यु विचारमंच





जेएनयू, नालंदा, नेहरू और भारत: ये चारों विषय इतनी विशालता और महत्ता समेटे हुए है कि मेरे जैसा एक अदना सा भूतपूर्व सैनिक कुछ लिखने की हिम्मत बटोरे, वह अपने आप में एक उपलब्धि है. ऊपर से इस विषय को जिन गुणी एवं प्रतिभावान लोगों ने लिखा अथवा शेयर किया है, उनकी जानकारी की तुलना में मैं बिल्कुल तुच्छ ज्ञान रखता हूँ, फिर भी २२ वर्ष सेना में रहने के कारण देश की बात जब भी आती है, थोडा जज्बाती हो जाता हूँ और फिर मचलते विचार खुद ब खुद अँगुलियों को "तेज चल" का आदेश देने लगता है.
परम आदरणीय Premkumar Mani  ( एक खबर के हवाले से कहते हैं कि "जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में कल 5 दिसम्बर को सुबह नौ बजे आरएसएस संरंक्षित स्वदेशी जागरण मंच की श्रीराम मंदिर संकल्प रथयात्रा जत्थे ने प्रवेश किया और हलचल मचा दी . कोई घंटे भर परिसर की वीथियों पर इस जत्थे या जुलूस ने मार्च किया और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जमकर नारेबाजी की . जुलूस और नारेबाजी जे एन यू के लिए आम बात है . नयी बात (नहीं) है "


तो जनाब नयी बात क्या है?

मैं बताता हूँ ," नई बात क्या है?
नयी बात यह है कि सोचने एवं बोलने की आजादी के पैरोकार विद्यार्थी, शिक्षक, एवं बंधुगण मानते हैं कि यह आजादी सिर्फ और सिर्फ "भारत तेरे तुकडे होंगे, इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह" "अफज़ल तेरे कातिल जिन्दा हैं, तब तक हम शर्मिंदा हैं" के नारों तक ही सीमित रहे,, "भारत माता की जय" तक ना पहुंचे.
विचारों की आजादी मार्क्सवाद, लेनिनवाद तक हीं सीमित रहे, महर्षि पतंजलि, महर्षि चरक, महर्षि विश्वामित्र तक न पहुंचे.
विचारों की आजादी, मां दुर्गा को एक वेश्या के रूप में पेश करने तक रहे, मां दुर्गा को एक सामूहिक शक्ति पुंज, अनाचारियों के विनाशक के रूप में पेश करने तक न जाए,
विचारों की आजादी देश के प्रधानमंत्री के आलोचना तक ही सीमित रहे, उनके आलोचकों के आलोचना तक न पहुंचे.
और अगर इनमे से एक भी हुआ तो आप विचारों की आजादी के हत्यारे हैं. क्यूँ साहेब सही है न.

आप लोगों की तरह हम कलम के सिपाही तो हैं नहीं कि लच्छेदार शब्दों के मकडजाल में मासूम मकड़ियों को फंसा सकें, हम तो बन्दुक के सिपाही हैं और हो सकता है शब्दों के रण में आपसे पीछे रह जाएँ लेकिन इस अपंगता के डर से हम चुप बैठेंगे ऐसा तो कतई न होगा.


नेहरू जी की बिटिया और उसके प्रशंसक ने बड़े अरमान से जे एन यु बनाई होगी और उसका हम सब सम्मान करते हैं, पर एक सवाल है आप गुणी लोगों से- कृपया यह बताएं कि आम जनता (आप विशेष गुणी जनों को छोड़कर) इस विश्वविद्यालय को किसके नाम से जानती है? कन्हैया, अनिर्बान और उम्र खालिद जैसे विद्यार्धियों के नाम से,भारत तेरे टुकडे होंगे जैसे नारों के नाम से. जानता है उनके उन विवादित बोलों से जो उनके ही विश्वविद्यालय से डिग्री लिए फ़ौज के अधिकारिओं के खिलाफ होता है.
और दावे के साथ कह सकता हूँ कि नेहरु जी की बिटिया और उनके प्रशंसकों के ये तो अरमान नहीं ही रहे होंगे.
आप कहते हैं , " नेहरू के लिए प्राचीन भारतीय इतिहास का अर्थ राम -कृष्ण -शिव नहीं था ; उनके लिए इतिहास का मतलब बुद्ध -अशोक - आर्यभट्ट था या फिर अश्वघोष -कालिदास - कबीर या फिर सभ्यताओं के उत्थान और पतन की गाथाएं अथवा इतिवृत्त."
तो क्या आपकी विचारों की उड़ान नेहरू और उनके किताबों की रचना तक जाकर रुक जाती है, थक जाती है. और अगर ऐसा है तो क्या आप हमें भी विचारों की गुलामी नहीं सिखा रहे हैं. आप तत्कालीन शाशकों के भाट-चरण गिरी नहीं कर रहे हैं.

हम तो वो हैं जो, सत्य की खोज के लिए क्षितिज के क्षितिज तक जाने की बात करतें हैं, हम तो वो हैं जो सत्यम, शिवम्, सुन्दरम तक जाने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो एको अहम् बहुस्यामः की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो कृष्ण की गीता से जीवन के सूत्रों की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो महर्षि पतंजलि के योग सूत्रों से जीवन को सजाने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो महर्षि चरक के प्रकृति के साहचर्य बनकर स्वस्थ बने रहने की बात करते हैं, हम तो वो हैं जो भौतिक विज्ञान से ऊपर चेतना विज्ञान की बात करते हैं पर आप के लिए ये सब बेमानी बातें हैं और हो भी क्यूँ नहीं. आपने कभी अपने पूर्वजों को ज्ञानवान समझा हीं कहाँ है, आपके लिए तो सारे ज्ञान पश्चिम के पुस्तकों और विद्वानों के मस्तिष्क में भरा हुआ है, हम तो ठहरे पैदायशी अनपढ़, अज्ञानी, सांप संपेरों वाला देश.
जय हिन्द

How to apply for enhanced Pension (EPS95) on EPFO web site: Pre 2014 retirees

                 Step wise guide A) Detailed steps. 1. Open EPFO pension application page using the link  EPFO Pension application The page ...