Dhaaraa370

Friday 11 October 2019

Global classes 02.10.2019

🌕 पंचकोश साधना - Online Global Class - 02/10/2019 - नवरात्रि सत्र - प्रज्ञाकुंज सासाराम - प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌🌞
📽 Please refer the video uploaded on youtube.
📖 विषय. महोपनिषद्  स्वाध्याय
📡 प्रसारण - आ॰ अंकुर भैया। 💐
🌞 प्रशिक्षक. आ० लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞 महोपनिषद् तृतीय अध्याय में ब्रह्म ज्ञानी ॠभु अपने पुत्र निदाघ को ब्रह्म ज्ञान दे रहे हैं| इससे हमें यह शिक्षा/प्रेरणा मिलती है पिता, बड़े एवं गुरू संज्ञक को सदैव ब्रह्म ज्ञान की प्रेरणा देती रहनी चाहिए| हम केवल प्रेरणा दे सकते हैं, बांकी हर एक जीव को ईश्वर ने स्वतंत्र सत्ता दी है की वह ग्रहण करे या ना करे| अतः हमें प्रेरित करना चाहिए ना की लादना चाहिए|
🌸 यह आनंद की कक्षा है|
ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन विमल सहज सुख राशी|
सो माया वश भयो गोसाईं बंध्यो जीव मरकट के नाहीं ||
हम व्यक्ति के गुण-दोष को देख कह देते हैं आदमी खराब है| जबकि आत्मा कभी भी खराब नहीं हो सकती, उसके बाह्य कलेवर (छिलका - पंचकोश की परतें) विकृत हो सकती है| आत्मा और शरीर दोनों अलग अलग हैं हमें यह समझना होगा|  परम दयालु सत्ता ने आत्मसत्ता के उपर सुरक्षा हेतु पांच परत (Five Layers - पंचकोश) दिये हैं| इस पर कालिमा/विकृति आने से हम अपने आत्मस्वरूप को भूल जाते हैं|
अतः पंचकोश - विकृत होने पर बंधन है, तो परिष्कृत होने पर मोक्ष का साधन है| पंचकोश हमारा लक्ष्य नहीं वरन् आत्म लक्ष्य की प्राप्ति का साधन है|
मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार की मिश्रित controller अंतःकरण research करता है|
लक्ष्य को वरण करने की प्रबल जिज्ञासा अर्थात् अभीप्सा होनी चाहिए| आत्मा आनंदमय है तो इसे जानने की अभीप्सा होनी चाहिये|
🌸 जो हर क्षण मनन करते रहते हैं वो मुनि कहलाते हैं| और जो मनन के साथ शोध कार्य practical करते हैं वो ॠषि कहलाते हैं|
🌸 हम सूर्योपासक हैं गायत्री (सविता) की उपासना करते हैं|
क्या सूर्य boundary में बंधते हैं - भेदभाव करते हैं❓
दीपक तले कालिमा हो सकती है लेकिन सूर्य तले नहीं|
सूर्य साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में सबल/उज्जवल होता है| वह परावलंबी नहीं हो सकता|
१. ब्रह्मा - ज्ञान कम - तो भी कष्ट
२. विष्णु - धन कम - तो भी कष्ट
३. महेश - शक्ति कम - तो भी कष्ट
एवं इन तीनों की अत्यधिकता भी क्रमशः अहंकारी, उच्छृंकल एवं उदण्ड बना सकती है अतः हमें ब्रह्म ग्रंथि, विष्णु ग्रंथि व महेश ग्रंथि तीनों को फोड़ना भी पड़ता है| अतः हमें Balance (समन्वय - संतुलन) की साधना करनी होती है|
🌸 साधना में प्रमाद नहीं करनी चाहिए| साधना के प्रति हमारा concept clear होनी चाहिए नही तो practical सही परिणाम देंगे| गायत्री माता के मूर्ति में एक हाथ में वेद - Concept द्योतक, दूसरे हाथ में कमंडल - practial द्योतक एवं इसके बाद हंस पर सवार अर्थात् संसार के अमृत - विष तत्वों में अमृत तत्व को ले लेगा|
🌸 निदाघ मुनि साढ़े तीन करोड़ तीर्थ स्थल में स्नान किये अर्थात् उस समय हर एक गाँव तीर्थ स्थल होगा|
👉 वो कहते हैं - यह जगत उतपन्न होता है मरने के लिये, पुनः मरता है जन्मने के लिये - अर्थात् वो पदार्थ जगत के ज्ञान-विज्ञान को समझ गये थे|
👉 ये सभी पदार्थ लौह शलाका के सदृश परस्पर पृथक रहते हुए मानसिक कल्पना रूपी चूंबक द्वारा एकत्रित होते रहते हैं|
Hydrogen (H2) जलाता है एवं Oxygen (O2) इंधन है, एक जलता है तो दूसरा जलाता है जबकि इन दोनों का संयोग Water ( 2H2 + O2 = 2H2O) जल ठंडा है - अर्थात् दोनों जलाने वाले तत्वों के बीच कुछ ऐसा तत्व था जो दोनों को मिलाकर दोनों के गुण धर्म को बिल्कुल परिवर्तित कर देती है यही chemistry है|
अर्थात विचारों (Concepts) के साथ श्रद्धा रूपी रस का समावेश करना होता है| अतः research में concept के साथ श्रद्धा का समावेश करना होता है|
🌸 निदाघ मुनि कहते हैं - सांसारिक पदार्थों से, धन आदि से स्वजन संबंधियों आदि से विरक्ति हो रही है| इन सबसे आनंद नहीं मिल सकता है|
१. पदार्थों से आसक्ति - लोभ
२. संबंधों से आसक्ति - मोह
३. मान्यताओं से आसक्ति - अहंकार
🌸 निदाघ मुनि कहते हैं - वायु को लपेटना, आकाश को खंड खंड करना एवं जल को गुंथन करने में भले ही संभव हो जाये, किंतु जीवन में आस्था एवं विश्वास रखना संभव नहीं हो पाता|
ऐसी स्थिति आने पर ही आत्म ज्ञान का संधान करना संभव बन पड़ता है| जब तक संसार से चिपकाव है आसक्ति है तब तक संसार की नश्वरता का ज्ञान नहीं होता और आत्मज्ञान संभव नहीं हो पाता|  ईश्वर की definition नहीं है वह अपरिभाषित (Undefined) है, असीमित है, अपरीमित है| अतः मान्यताओं में ना फंसे| शरीर के साथ मान्यता - अन्नमयकोश में, पद के साथ मान्यता - प्राणमयकोश, स्वभाव के साथ मान्यता - मनोमयकोश में फंसे हैं|

Global classes 03.10.19

🌕 पंचकोश साधना - Online Global Class - 03/10/2019 - नवरात्रि सत्र - प्रज्ञाकुंज सासाराम - प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌🌞
📽 Please refer the video uploaded on youtube.
📖 विषय. महोपनिषद् - चतुर्थ अध्याय|
📡 प्रसारण - आ॰ अमन भैया। 💐
🌞 शिक्षक बैंच. आ० लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌸 जो स्वेच्छा से अाते हैं वह अवतरण प्रक्रिया में आते हैं एवं जो कर्मफल के तहद आते हैं वह पुनरावर्तन प्रक्रिया में|
🌸 चेतना की एक ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेना जिससे पुनरावर्तन ना हो|
🌸 आत्म अनुभव को आत्म बोध कहते हैं | प्रज्ञोपनिषद् में कहते हैं अध्यात्म का उद्देश्य ईश्वर की विवेचना नहीं वरन् उसे इस मानव शरीर में अनुभव करना है|
🌸 मंत्र संख्या १. अपने पुत्र निदाघ मुनि की सभी की बातों को सुनकर ॠषिवर ॠभु ने कहा - हे प्रभु|
ॠषिवर अर्थात् ॠषियों में श्रेष्ठ, वो अपने पुत्र को कहते हैं - हे प्रभु! तुम ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ हो| ........
❤️ देखें ॠषि परंपरा को - अपने बच्चे/Juniors के प्रति सम्मान की भावना .... क्या हम ऐसा करते हैं❓
🌸 मंत्र संख्या ३. मोक्षद्वार के ४ द्वारपाल:-
१. शम (मनोनिग्रह)
२. विचार
३. संत
४. सत्संग
यदि इनमें से कोई एक का भी आश्रय प्राप्त कर लिया जाये तो शेष तीन सहजतापूर्वक प्राप्त हो जाते हैं|
👉 ईश्वर को सर्वव्यापी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में शिरोधार्य करेंगे|
👉 तब तक त्राटक करेंगे जब तक उस सर्वव्यापी ईश्वर को देख ना लें| त्राटक means concentration, ध्यान means depth.
🌸 मंत्र संख्या ४-५. सर्वप्रथम तप, दम (इन्द्रिय निग्रह), शास्त्र एवं सत्संग के द्वारा सद्ज्ञान को बढ़ाना चाहिए| अपनी आत्मा के अनुभव, शास्त्रों एवं गुरु के वचनों का उपदेश से सतत अभ्यास द्वारा आत्मचिंतन करना चाहिए|
🌸 मंत्र संख्या ७. जो चित्त का अकतृत्व है वही चित्त वृत्तियों का निरोध अर्थात् समाधि कही गयी है यही कैवल्यावस्था एवं परम कल्याणकारी परम शांति कहलाती है|
👉 संसार के यथार्थता को समझने के बाद अकतृत्व अर्थात् चित्त वृत्त का निरोध हो जाता हैं|
🌸 मंत्र संख्या ८. इस जगत के संपूर्ण पदार्थों में आत्म भावना का सम्यक रूप से त्याग करके संसार में गूंगे, अंधे, बहरे तुम्हारे रहने से ही संभव है|
👉 सभी चीजों में दोनों सत्ता है - जड़ (संसार), चेतन (आत्मिकी)| अतः हमें दोनों अर्थों को साथ में लेकर चलना चाहिये|
हमें अनुचित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए| अगर हमारे कान तक वह पहूंच जाता है तो उसके अंदर के ईश्वर को देख लेवें - क्योंकि शब्द ही ब्रह्म है|
👉 युद्ध (Duty) करें - किंतु ईश्वरीय कार्य समझ कर करें - अनासक्त भाव से करें - कुशलतापूर्वक करें|
🌸 मंत्र संख्या ११. सांसारिक कार्यों को सतत करते हुए भी नित प्रबुद्धचित्त होकर आत्मा के एकत्व को जानकर प्रशान्त रहने वाले महासागर के सदृश निश्चल एवं स्थिरचित्त  बने रहो| इसमें कल्याण की संभावनायें है|
🌸 मंत्र संख्या १२. यह आत्मज्ञान वासना रूपी तृण को दग्ध करने वाली अग्नि के सदृश है| इसे समाधि कहते हैं| केवल मौन रहकर बैठना ही समाधि नहीं है|
🌸 मंत्र संख्या १७-२० सत्व गुण में स्थित मनुष्य स्वर्णकमल  की भांति रात्रिकाल आपत्तियों में कुम्हलाते नहीं हैं| वे प्राप्त भोगों के अतिरिक्त अन्य पदार्थों की इच्छा नहीं करते, वरन शास्त्रोक्त मार्ग में भ्रमण करते हैं| वो स्वतः अपने मन के अनुकूल रहकर ही  मैत्री, करूणा, मुदिता, उपेक्षा आदि गुणों से विभुषित रहते हैं|
🌸 मंत्र संख्या २१. प्राज्ञों संतजनों के साथ हमें प्रयत्नपूर्वक सदैव चिंतन करने रहना चाहिये - मैं कौन हूँ?
परमपूज्य गुरुदेव ने एक पुस्तक लिखी है मैं कोन हूँ? इसे सभी थाती के तरह अपने साथ रखें|
🌸 मंत्र संख्या २२. यह विराट विश्व प्रपंच किस प्रकार प्रादुर्भाव हुआ? कभी निरर्थक कार्यों में ना लगा रहे तथा अनार्य पुरूष के संग से सदैव अपने को बचाता रहे|
🌸 मंत्र संख्या २३.सभी की संघारक, मृत्यु के प्रति उपेक्षा भाव से ना देखे| यदि उपेक्षा करनी ही है तो शरीर, अस्थि, मांस, रक्त आदि को घृणित मानकर इसकी उपेक्षा करनी चाहिए|
🌸 मंत्र संख्या २५.परमात्म तत्व के विषय में गुरु एवं शास्त्र के अनुसार बताये हुए मार्ग से स्वानुभूति से मैं ही ब्रह्म हूँ - ऐसा जानकर शोक रहित होना चाहिये|
🌸 मंत्र संख्या २६. गुरू एवं शास्त्र वचनों  के अनुसार तथा अन्तः अनुभूति के माध्यम से जो अन्तः की शुद्धि होती है उसी के सतत अभ्यास से आत्म साक्षात्कार किया जा सकता है|
🌸 अध्यात्मिकी -  मैं कौन हूँ? (को अहं) ➡ से लेकर मैं ब्रह्म हूँ (सो अहं) की यात्रा है|
🌞 ॐ शांतिः शांतिः शांतिः - अखंडानंदबोधाय - जय युगॠषि श्रीराम 🙏

Thursday 3 October 2019

शिव के गले में सर्प , मस्तक से गंगा की धारा का ज्ञान विज्ञान (रहस्य भेद)







जीभ से अपने को आत्मा कहने वाले अनेक मिल जायेंगे पर जो दृढ विश्वास के साथ यह अनुभव करता है कि  “ मैं विशुद्ध आत्मा हूँ और आत्मा के अतिरिक्त और कुछ नहीं, वे हीं आत्मज्ञानी कहलाते हैं. लेकिन अनुभव प्राप्त करने से पहले यह जान लेना जरुरी होता है कि क्या हम सचमुच शरीर से अलग हैं? क्या शरीर को नियंत्रित करने वाला कोई ईश्वरीय सत्ता है? क्या ब्रह्मा, विष्णु, महेश हीं वो तीन ईश्वरीय विभाग हैं जो इस संसार को रचते हैं, पालते हैं और विनाश करते हैं?इन विषयों को गहराई में समझने के लिए हमें शरीर से परे शुक्ष्म स्तर पर जाना होगा. जीव के सूक्ष्म विज्ञान को समझना होगा . जीव के तीन ग्रंथियां (knots) होते हैं, जो उर्जा केंद्र होते हैं, 


इन ग्रंथियों के गुण भेद निम्न प्रकार हैं.

व्यावहारिक जीवन में इन्हें इस तरह से जाना जाता है.

दार्शनिक दृष्टि  से इन्हीं गुणों को इस तरह से देखा जाता है.

हमारे ऋषियों ने सूक्ष्म अन्वेषण के आधार पर यह बताया है कि तीन गुण, तीन शरीरों या तीन क्षेत्रों का व्यवस्थित या अव्यवस्थित होना हमारे शरीर के अदृश्य केन्द्रों पर निर्भर करता है .

साधनात्मक प्रक्रियाओं से गुजरते हुए जो व्यक्ति विज्ञानमय कोष की स्थिति में पहुँच जाता है तो उसे अपने भीतर तीन कठोर, गठीली, चमकदार गांठें दिखता है, जिसका विवरण इस प्रकार है 


इन तीन महाग्रन्थियों के दो  सहायक ग्रंथियां भी होती हैं, जो मेरुदंड (Spine) स्थित सुषुम्ना नाड़ी के मध्य में रहने वाली ब्रह्मनाडी के भीतर रहती हैं. इन्हें हीं चक्र भी कहते हैं. 



   रूद्र ग्रंथि के शाखा ग्रंथियां मूलाधार चक्र और स्वधिस्थान चक्र कहलाती है .


विष्णु ग्रंथि की दो शाखायें मणिपुर चक्र और अनाहत चक्र कहलाते हैं .
ब्रह्म ग्रंथि के शाखायों को विशुद्धि चक्र एवं आज्ञा चक्र कहते हैं.



आकार



१ रूद्र ग्रंथि : ग्रंथि का आकार बेर के सामान  ऊपर को नुकीला, नीचे को भारी, और पेंदे में गड्ढा लिए होता है, इसका वर्ण कालापन मिला हुआ लाल होता है.

  इस ग्रंथि के दक्षिण भाग को रूद्र और वाम भाग को काली कहते हैं. दक्षिण भाग के गह्वर में प्रवेश करके देखते हैं तो उर्ध्व में स्वेत रंग की छोटी सी नाड़ी हल्का सा स्वेत रस प्रवाहित करती है (शिव के मस्तक पर गंगा की धारा ) एक तंतु पीले वर्ण की ज्योति सा चमकता रहता है (चन्द्रमा), मध्य भाग में एक काले वर्ण की नाड़ी सांप की तरह मूलाधार से लिपटी हुई है ( गले में नाग), प्राण वायु का जब इस भाग से संपर्क होता है तो डिम डिम जैसी ध्वनि उसमें से निकलती है (डमरू).

  ऋषियों ने रूद्र (शिव) का सुन्दर चित्र इन्हीं गुणों को संकेत रूप में दिखाने के लिए अंकित किया है ताकि भगवान शंकर का ध्यान इन गुणों को ध्यान में रखकर किया जा सके. इस ग्रंथि का वाम भाग जिस स्थिति में उसी के अनुरूप काली का सुन्दर चित्र सूक्ष्मदर्शी अध्यात्मिक चित्रकारों ने अंकित कर दिया हैं.



  विष्णु ग्रंथि : 


  अगर विष्णु भगवन के विग्रह को देखा जाय तो विष्णु ग्रंथि के सारे गुणधर्म सहज हीं पता लग जाएगा . जैसे कि नील वर्ण, गोल आकार, शंख ध्वनि, कौस्तुभ मणि, बनमाला इत्यादि उस मध्य ग्रंथि का सहज प्रतिबिम्ब हैं.

  

  ब्रह्म ग्रंथि :

ब्रह्म ग्रंथि मध्य मस्तिष्क में है. इससे ऊपर सहस्त्रार शतदल कमल है, यह ग्रंथि ऊपर से चतुष्कोण और नीचे से फैली हुई है, इसका निचे का एक तंतु ब्रह्मा-रंध्र से जुड़ा हुआ है. इसी को सहस्त्रमुख वाले शेष नाग के शैया पर लेटे हुए भगवान की नाभि कमल से उत्पन्न चार मुखवाला ब्रह्मा चित्रित किया है. इसी के वाम भाग को चतुर्भुजी सरस्वती कहते हैं. वीणा झंकार से इस  क्षेत्र में ऊंकार ध्वनि निरंतर गुंजित होता रहता है 

यह तीन ग्रंथियां जब सुप्त अवस्था में रहती हैं, बंधी हुई रहती हैं तब तक जीव साधारण दीन हीन अवस्था में पड़ा रहता है, पर जब इनका खुलना प्रारंभ होता है तो उनका वैभव बिखर पड़ता है.

अध्यात्म के रास्ते पर चलकर इन बंधनों को खोला जा सकता है और  भौतिक एवं दैविक सभी लक्ष्यों को हासिल करना आसान बनाया जा सकता है.

टिपण्णी- अगर अध्यात्म के ज्ञान विज्ञान से जुड़े किसी भी प्रकार का शंका हो तो बताएं ताकि वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को बढ़ावा मिल सके .


Monday 9 September 2019

कुछ बातें बेकार सही मगर बताना जरुरी है.







कुछ बातें बेकार सही मगर बतानी जरुरी है.

जब किसी रोज, थोडा खुद को खोने लगोगे
खुली आँखों में जब, तुम सोने लगोगे ,

जब बातें, वो रातें,
और वो कुछ प्यारी सी मुलाकातें
सब कुछ थोडा भूलने लगोगे
उस गम के झूले में तुम झूलने लगोगे,

 तब याद रखना कि, अक्सर
लोग तुम्हारी उलझनों में, उलझना छोड़ देंगे,
सुनेंगे जरुर, पर शायद समझना छोड़ देंगे,

रिश्तों में आती है कड़वाहटे, दुस्वारियां होती हैं,
जब वो चले जातें हैं, उनकी भी जिम्मेदारियां होती हैं,

तू पूछेगा, कि सिर्फ मैं हीं क्यूँ ?
सिर्फ मुझे हीं क्यूँ ये झेलना पड़ रहा है?
इन अँधेरी तंग गलियों में,
मुझे हीं अकेले क्यूँ खेलना पड़ रहा है?

तो कुछ गलत कदम उठाने से पहले
सिर्फ इस आखिरी पंक्ति को पढ़ लेना,

जो लोग कठिनाइयों के सागर को पार कर आते हैं,
उनकी आँखों में, अजब सी नूरी होती है,
अब सच मानों तो ये बातें बेकार जरुर हैं,
पर कुछ बातें बतानी जरुरी होती है .








हर्ष शांडिल्य 
(Published in Abhivyakti magazine of BITS GOA)

Friday 16 August 2019

तेरा प्यार प्यार और मेरा प्यार ....


अरुण जेटली का हाल जानने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एम्स पहुंचे.


आज जब असहिष्णुता गैंग एक  खास तस्वीर आप को दिखाने की कोशिश कर रही है कि  एक खास सोच के लोग सोशल मीडिया पर अलग सोच वालों की ट्रॉलिंग कर रहे हैं तो ऐसे में  हर जागरुक जनता का फर्ज है कि आपको किसी भी ऐसे एजेंडे से ख़बरदार रखे.

बीबीसी हिंदी ने एक खबर छपी - अरुण जेटली का हाल जानने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एम्स पहुंचे.

उसपर  सोशल मीडिया में सहिष्णु लोगों की कैसी कैसी टिप्पणियां आई है, उसे देखकर आपको अंदाजा लग जाएगा कि जहर किस कदर भरा हुआ है?

मोहम्मद मोज़ाम्मिल: भगवान उनकी आत्मा को शांति दें.

शोकत अली : शुभ मुहूर्त कब निकला है?

शमा बुखारी : RIP advance....Dil khush ho gya.

ज़मीर खान : आज बुलेटिन जारी हो जाएगा क्या?

मिशल अंसारी : भावभीनी श्रद्धांजलि

मोहम्मद रजा : आज लगता है खबर आएगी, १५ अगस्त भी ख़तम हो चूका .

भाई इकबाल अहमद खान तो हद हीं कर दिए :  इसको अभी तक जलाए नहीं?

इकबाल बेला : सुषमा  के साथ जल्द मीटिंग होगी

शोकिन काजी खान दुआ करते हैं : भगवान इनकी आत्मा को शांति नहीं दे बल्कि हमेशा के लिए कैद करले.

सैयद मोहसिन अब्बास इसे धारा 370 से जोड़ते हुए देखते हैं : 370 की दूसरी क़ुरबानी के लिए देश तैयार रहे और एक ठहाके वाली ईमोजी .

करण राठी : RIP अगले जनम में कुत्ता बनना और वो भी गली का.

Md Imran Ansari : बहुत GST लगाया है अब इसका लगने वाला है GST

समसुल मालिक : मर .........( मां की गाली)

घटियापन का अंतहीन किस्सा है जो आपको और हमको बार आगाह करता है कि सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की कमी नहीं है, और ये किसी एक तरफ के नहीं है, बल्कि दोनों सोच वाले हैं.
इसलिए हममें किसी को भी ऐसे narrative का शिकार नहीं होना चाहिए कि एक खास वर्ग के लोग ट्रोल आर्मी बनाये हुए हैं और बाकी लोग victim हैं.

ये सारे टिपण्णी उस व्यक्ति के लिए है जो ICU में जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहा है.
आप अंदाजा लगा सकते हैं ये सहिष्णु लोग बाकी लोगों के लिए क्या क्या  लिखते होंगे.

Friday 17 May 2019

Daughters of different god



Fear makes perfectly good people provide perfectly valid justifications for ultimately vile practices.


Excerpts from "The Dawn"

Dalit communities settled in Sindh have adopted the practice of early marriages: girls as young as 11 are forcibly married off with the rationalisation that they’ll be kidnapped or even raped if they are single

Do you know the reason?  See it for yourself.

If she is kidnapped, then she is converted and married off to a Muslim man. In most cases, despite protests by parents and Hindu rights activists, the family will never see the girl again.
Frightened parents, therefore, wed their daughter at an early age to reduce the risks of their daughters being kidnapped. 

Kohli of Pakistan
Thirteen-year-old Neelam Kohli could also have fallen prey to the same vicious cycle but she has been the exception to the rule: kidnapped, raped and converted about two years ago, she was able to return to her family on the directives of a court.
She is alive and well today, her conversion has not been deemed legal, and she is not burdened with pregnancy either since she couldn’t bear children when she was raped. 
 She was kidnapped in September 2014, while her peasant parents were tilling the land. In her testimony later on, she named a local influential, Akbar Khokhar, and his two friends, Javed Kokhar and Dalho Kohli, as the kidnappers. The accused took her to a local madressah, where she was converted.
Her parents approached the police and lodged an FIR against her kidnapping.  Local Hindu groups protested in favour of her recovery and ultimately, she was brought to a local court, where her parents proved her age. She was 11 at the time. The court issued directives to free her and allowed the parents to take her home, 
but no action was taken against the accused and they were allowed to walk free.
After Neelam’s return, her father Nemoon decided to migrate from their colony: the three influential predators were still out and around, and they could kidnap Neelam once again. The family left Bheel Colony and moved to Samaro Town of Umerkot district, where they live now.
What makes their life more miserable?
“A section of the [Hindu Marriage Bill] says that if any Hindu woman, even if she is married and has children, has converted to Islam, her Hindu marriage will be considered illegal. Many influential people will exploit this section

“We are frightened that someone will again come and kidnap her, and maybe this time around, we will not be able to bring her back,” says Neelam’s mother, Hanjoo Kohli. Her house comprises two smallsized makeshift huts surrounded by a thorn fence. They rarely leave their village.

“Every year, around 1,000 to 1,200 Dalits girls — approximately 100 every month —are kidnapped and forcibly converted. The numbers could be more but there is no any mechanism to calculate the actual figure,” says renowned Dalit activist Surendar Valasai, who is also the advisor on minority affairs to Bilawal Bhutto-Zardari, Patron-in-Chief of the PPP.
Who will forget the face of father of these hapless girls?

On the eve of Holi, Reena Meghwar (12) and Raveena Meghwar (14) were kidnapped from their home in Dahrki in Sindh’s Ghotki district. Another Hindu girl had also been reportedly abducted from Mirpukhas district. Later to be proved by court of pakistan that all is well within rule of the land.

On the run

Some 28 years ago, young Meeran was captured by zamindar Lal Mangrio  She was released some seven years ago. But when her family planned to marry her off within their community, the zamindar’s son, Ibrahim Mangrio, kept her; later on, he and his henchmen would sexually assault her. Meeran now has two children.


About nine years ago, some preachers contacted Chander Kohli and drove him to Karachi. They offered him a better life and a Muslim woman’s hand in marriage if he converted to Islam.  He was attracted by the glamour of urban Muslim life and subsequently converted.
But at home, Chandar’s wife refused to become Muslim and went to live with her parents instead. Meanwhile, those who had helped Chandar convert distanced themselves. Today, Chandar faces an unusual dilemma: he is officially a Muslim citizen, 
and according to Islamic laws, 
he cannot become Hindu again. His family is still not willing to convert.

Wednesday 15 May 2019

परशुराम की प्रतीक्षा- खंड १



गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ?
शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ?
उनका, जिनमें कारुण्य असीम तरल था,
तारुण्य-ताप था नहीं, न रंच गरल था;
सस्ती सुकीर्ति पा कर जो फूल गये थे,
निर्वीर्य कल्पनाओं में भूल गये थे;
गीता में जो त्रिपिटक-निकाय पढ़ते हैं,
तलवार गला कर जो तकली गढ़ते हैं;
शीतल करते हैं अनल प्रबुद्ध प्रजा का,
शेरों को सिखलाते हैं धर्म अजा का;
सारी वसुन्धरा में गुरु-पद पाने को,
प्यासी धरती के लिए अमृत लाने को
जो सन्त लोग सीधे पाताल चले थे,
(अच्छे हैं अबः; पहले भी बहुत भले थे।)
हम उसी धर्म की लाश यहाँ ढोते हैं,
शोणित से सन्तों का कलंक धोते हैं।

How to apply for enhanced Pension (EPS95) on EPFO web site: Pre 2014 retirees

                 Step wise guide A) Detailed steps. 1. Open EPFO pension application page using the link  EPFO Pension application The page ...