🌕 पंचकोश साधना - Online Global Class - 02/10/2019 - नवरात्रि सत्र - प्रज्ञाकुंज सासाराम - प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्🌞
📽 Please refer the video uploaded on youtube.
📖 विषय. महोपनिषद् स्वाध्याय
📡 प्रसारण - आ॰ अंकुर भैया। 💐
🌞 प्रशिक्षक. आ० लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞 महोपनिषद् तृतीय अध्याय में ब्रह्म ज्ञानी ॠभु अपने पुत्र निदाघ को ब्रह्म ज्ञान दे रहे हैं| इससे हमें यह शिक्षा/प्रेरणा मिलती है पिता, बड़े एवं गुरू संज्ञक को सदैव ब्रह्म ज्ञान की प्रेरणा देती रहनी चाहिए| हम केवल प्रेरणा दे सकते हैं, बांकी हर एक जीव को ईश्वर ने स्वतंत्र सत्ता दी है की वह ग्रहण करे या ना करे| अतः हमें प्रेरित करना चाहिए ना की लादना चाहिए|
🌸 यह आनंद की कक्षा है|
ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन विमल सहज सुख राशी|
सो माया वश भयो गोसाईं बंध्यो जीव मरकट के नाहीं ||
हम व्यक्ति के गुण-दोष को देख कह देते हैं आदमी खराब है| जबकि आत्मा कभी भी खराब नहीं हो सकती, उसके बाह्य कलेवर (छिलका - पंचकोश की परतें) विकृत हो सकती है| आत्मा और शरीर दोनों अलग अलग हैं हमें यह समझना होगा| परम दयालु सत्ता ने आत्मसत्ता के उपर सुरक्षा हेतु पांच परत (Five Layers - पंचकोश) दिये हैं| इस पर कालिमा/विकृति आने से हम अपने आत्मस्वरूप को भूल जाते हैं|
अतः पंचकोश - विकृत होने पर बंधन है, तो परिष्कृत होने पर मोक्ष का साधन है| पंचकोश हमारा लक्ष्य नहीं वरन् आत्म लक्ष्य की प्राप्ति का साधन है|
मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार की मिश्रित controller अंतःकरण research करता है|
लक्ष्य को वरण करने की प्रबल जिज्ञासा अर्थात् अभीप्सा होनी चाहिए| आत्मा आनंदमय है तो इसे जानने की अभीप्सा होनी चाहिये|
🌸 जो हर क्षण मनन करते रहते हैं वो मुनि कहलाते हैं| और जो मनन के साथ शोध कार्य practical करते हैं वो ॠषि कहलाते हैं|
🌸 हम सूर्योपासक हैं गायत्री (सविता) की उपासना करते हैं|
क्या सूर्य boundary में बंधते हैं - भेदभाव करते हैं❓
दीपक तले कालिमा हो सकती है लेकिन सूर्य तले नहीं|
सूर्य साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में सबल/उज्जवल होता है| वह परावलंबी नहीं हो सकता|
१. ब्रह्मा - ज्ञान कम - तो भी कष्ट
२. विष्णु - धन कम - तो भी कष्ट
३. महेश - शक्ति कम - तो भी कष्ट
एवं इन तीनों की अत्यधिकता भी क्रमशः अहंकारी, उच्छृंकल एवं उदण्ड बना सकती है अतः हमें ब्रह्म ग्रंथि, विष्णु ग्रंथि व महेश ग्रंथि तीनों को फोड़ना भी पड़ता है| अतः हमें Balance (समन्वय - संतुलन) की साधना करनी होती है|
🌸 साधना में प्रमाद नहीं करनी चाहिए| साधना के प्रति हमारा concept clear होनी चाहिए नही तो practical सही परिणाम देंगे| गायत्री माता के मूर्ति में एक हाथ में वेद - Concept द्योतक, दूसरे हाथ में कमंडल - practial द्योतक एवं इसके बाद हंस पर सवार अर्थात् संसार के अमृत - विष तत्वों में अमृत तत्व को ले लेगा|
🌸 निदाघ मुनि साढ़े तीन करोड़ तीर्थ स्थल में स्नान किये अर्थात् उस समय हर एक गाँव तीर्थ स्थल होगा|
👉 वो कहते हैं - यह जगत उतपन्न होता है मरने के लिये, पुनः मरता है जन्मने के लिये - अर्थात् वो पदार्थ जगत के ज्ञान-विज्ञान को समझ गये थे|
👉 ये सभी पदार्थ लौह शलाका के सदृश परस्पर पृथक रहते हुए मानसिक कल्पना रूपी चूंबक द्वारा एकत्रित होते रहते हैं|
Hydrogen (H2) जलाता है एवं Oxygen (O2) इंधन है, एक जलता है तो दूसरा जलाता है जबकि इन दोनों का संयोग Water ( 2H2 + O2 = 2H2O) जल ठंडा है - अर्थात् दोनों जलाने वाले तत्वों के बीच कुछ ऐसा तत्व था जो दोनों को मिलाकर दोनों के गुण धर्म को बिल्कुल परिवर्तित कर देती है यही chemistry है|
अर्थात विचारों (Concepts) के साथ श्रद्धा रूपी रस का समावेश करना होता है| अतः research में concept के साथ श्रद्धा का समावेश करना होता है|
🌸 निदाघ मुनि कहते हैं - सांसारिक पदार्थों से, धन आदि से स्वजन संबंधियों आदि से विरक्ति हो रही है| इन सबसे आनंद नहीं मिल सकता है|
१. पदार्थों से आसक्ति - लोभ
२. संबंधों से आसक्ति - मोह
३. मान्यताओं से आसक्ति - अहंकार
🌸 निदाघ मुनि कहते हैं - वायु को लपेटना, आकाश को खंड खंड करना एवं जल को गुंथन करने में भले ही संभव हो जाये, किंतु जीवन में आस्था एवं विश्वास रखना संभव नहीं हो पाता|
ऐसी स्थिति आने पर ही आत्म ज्ञान का संधान करना संभव बन पड़ता है| जब तक संसार से चिपकाव है आसक्ति है तब तक संसार की नश्वरता का ज्ञान नहीं होता और आत्मज्ञान संभव नहीं हो पाता| ईश्वर की definition नहीं है वह अपरिभाषित (Undefined) है, असीमित है, अपरीमित है| अतः मान्यताओं में ना फंसे| शरीर के साथ मान्यता - अन्नमयकोश में, पद के साथ मान्यता - प्राणमयकोश, स्वभाव के साथ मान्यता - मनोमयकोश में फंसे हैं|
Have you ever thought, why all other religiions except #Sanatana considers only men as God? Straight from heart. Opinions are my personal and are in no way intended to hurt emotions of any person or organisation.
Dhaaraa370
Friday, 11 October 2019
Global classes 02.10.2019
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