Dhaaraa370

Friday 9 November 2018

हे माँ, तुम्हें नमन है


माँ, निर्झर का पानी है; अमिट कहानी है,
माँ, धरती और अम्बर की तुम ही तो रानी है,
माँ, जलती दुपहरी में पीपल का छाँव है,
माँ, सागर की लहरों पर इठलाती नाव है,
माँ, ठिठुरती सर्दी में दोशाले का ताप है,
माँ, श्रध्दा है, भक्ति है, गायत्री का जाप है,
माँ माली है, चमन है; चमन का सुमन भी है,
माँ, खुशबू का झोंका है,बासंती पवन भी है .
माँ, अटपटे सवालों का, प्यारा जबाब है,
माँ, दर्द भरे दुनियां में, प्यारा सा ख्वाब है.
माँ, प्रेम है, भक्ति है; शिव है और शक्ति है
माँ, धरती पर ईश्वर की; एकमात्र अभिव्यक्ति है .
माँ, वंदन है, चन्दन है; धड़कन है, पुलकन है,
माँ, स्वर्ग सा घरौंदा है, घरौदें में जीवन है.
माँ, जीवन का लक्ष्य है, ईश्वरीय पैगाम है,
माँ, सीता-सावित्री है, शबरी है, राम है
माँ ब्रह्मा है, विष्णु है, माँ ओंकार है ,
माँ, सरस्वती की विद्या और दुर्गा की हुंकार है.
माँ पुण्य का पुरौधा और पाप का शमन है,
हे माँ, तुम्हें हमारा, नमन है, नमन है.

अगर कविता अच्छी लगी हो तो निचे दिए लिंक पर जाकर अपना मत (वोट) अवश्य दें. यह एक प्रतियोगिता का हिस्सा है.

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