🌕 पंचकोश साधना - Online Global Class - 30/09/2019 - प्रज्ञाकुंज सासाराम - प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह "बाबूजी" 🙏
🌞 ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् 🌞
📽 Please refer the video uploaded on youtube.
📖 विषय. महोपनिषद् - द्वितीय अध्याय (नवरात्रि सत्र)
🎥 कक्षा संचालन. आ॰ अंकुर भैया। 💐
🌞 शिक्षक बैंच. आ० लाल बिहारी सिंह "बाबूजी"
🌸 परम तेजस्वी शुकदेव मुनि का पंचकोश गर्भावस्था में परिष्कृत हो चुका था| परमपूज्य गुरुदेव की माता जी भी जब गुरुदेव गर्भ में थे भागवत का पाठ - श्रवण, दान पुण्य आदि में निरत रहती थीं| गर्भावस्था में मां के:-
१. सात्विक भोजन से शिशु का अन्नमयकोश स्वस्थ/परिष्कृत
२. सूर्योपासना से प्राणमयकोश स्वस्थ
३. स्वाध्याय से मनोमयकोश स्वस्थ
४. परिवार में आत्मीयता/सहृदयता/सद्भावना से विज्ञानमयकोश स्वस्थ
🌸 शरीर को अयोध्या (जिसे कोई युद्ध में हरा ना सके) भी कहा गया है| अन्नमयकोश की साधना से हम शरीर को इतनी मजबूती प्रदान कर सकते हैं|
🌸 भेद दर्शनं अज्ञानं - भेद दर्शन अज्ञान है| आसक्ति ही निषेधात्मक चिंतन (Negative thoughts) है|
🌸 माता लक्ष्मी का आसन कमलासन है| अर्थात् जो स्थितप्रज्ञ है वही धनवान है| ज्ञानवान ही धनवान है, ज्ञानवान ही बलवान है, ज्ञानवान ही जिंदा है| स्थित प्रज्ञ ही कर्मों में लिप्त नहीं होता|
🌸 हमारे जो भी कार्य (duties, responsibilities) हैं उसे हम ईश्वरीय कार्य समझें| शरीर को स्वस्थ, बलवान, बुद्धिमान, प्रेमी (आत्मीय) बनाना भी हमारी duty है| जब हम ईश्वरीय कार्य समझ कर कार्य करेंगे तो प्रमाद आसक्ति आदि से सदैव दूर रहेंगे| ईशावास्योपनिषद् में इसे ही "तेन त्येक्तन भूंजीथा" कहा गया है|
🌸 महर्षि अरविंद ने स्थितप्रज्ञ को ही योग कहा है| वह कहते हैं -
१. शुद्धि - पंचकोश शुद्धि
२. मुक्ति - आत्मिक रूझान| हमने संसार को पकड़ रखा है ना कि संसार ने हमें| हमारी असफलता के लिए हमारे अलावा कोई भी जिम्मेदार नहीं है|
३. सिद्धि - स्थितप्रज्ञ|
🌸 लाखों जन्म की यात्रा को हमें एक ही जन्म में पूरा करना हो तो क्रियायोग (साधना) की आवश्यकता होती है|
🌸 मंत्र संख्यां ४१ - राजा जनक कहते हैं - हे परमज्ञानी शुकदेव जी,
👉 जो वासनाओं का निःशेष परित्याग कर देता है, वही वास्तविक श्रेष्ठ त्याग है उसी विशुद्धावस्था को ज्ञानीजनों ने मोक्ष कहा है|
👉 पुनः जो शुद्ध वासनाओं से युक्त है - जो अनर्थ शुन्य जीवन वाले हैं जो ज्ञेय तत्व के ज्ञाता हैं, वे ही मनुष्य पूर्ण जीवन मुक्त कहे जाते हैं|
✍ वासना (जो वास करता है) दो प्रकार के हैं -
१. अशुद्ध वासना का परित्याग
२. शुद्ध वासना - आदर्शों का संवर्धन
हमें असफलता मिलती है की हम एकपक्षीय (इकतरफा) सोचते हैं|
👉 पदार्थों की भावनात्मक दृढ़ता को ही बंधन और वासनाओं की क्षीणता को ही मोक्ष कहा गया है|
🌸 मंत्र संख्या ४२ - जिसे तप आदि साधना के अभावों में स्वभाववश ही सांसारिक भोग अच्छे नही लगते हैं वही जीवन मुक्त है|
🌸 मंत्र संख्या ४३ - जो प्रतिपल प्राप्त होने वाले सुखों या दुखों में आसक्त नहीं होते तथा जो ना हर्षित होता है और ना दुखी होता है वही जीवन मुक्त कहलाता है|
🌸 मंत्र संख्या ४४ - जो हर्ष, अमर्श, भय, काम, क्रोध एवं शोक आदि विकारों से मुक्त रहता है वही जीवन मुक्त कहलाता है|
🌸 मंत्र संख्या ४५ - जो अहंकार युक्त वासनाओं का अति सहजता से त्याग कर देता है तथा जो चित्त के अवलंबन में जो सम्यक रूप से त्याग भाव रखता है - वही जीवन मुक्त है|
🌸 मंत्र संख्या ५४ - जो ज्ञानी पुरूष खट्टे, चटपटे, कड़वे, नमकीन, स्वादयुक्त एवं आस्वाद को एक जैसा मानकर भोजन करता है वही जीवन मुक्त है|
Note - बिना तन्मात्रा साधना के मन के layer को पार नहीं किया जा सकता है|
🌸 श्रीकृष्ण अर्जून को कहते हैं - दुख तभी होगा जब मन का विषयों में चिपकाव होगा| संसार में सभी चीजें आनंद से भरी हैं आनंद लें किंतु चिपकें नहीं| दिमाग की खुजली अर्थात् सुख दुख विषय से चिपक जाना दुख का कारण है| स्थितप्रज्ञ अर्थात् संसार को पकड़ा तो भी आनंद में और संसार को छोड़ा तो भी आनंद में|
(🤔 हर हाल मस्त - हर चाल मस्त)
🌸 सर्वकर्मनिराकरणंआवाहनं - सभी कर्मों का disposal (आसक्ति रहित निर्वहन) ही आवाह्न है| हम अपनी किसी भी duty को ईश्वर से अलग ना समझें - बस चिपकें नहीं - disposal करते रहें| स्थितप्रज्ञ वाले layer में लाने के लिये श्रीकृष्ण ने अर्जून को गीता का द्वितीय पाठ समझाया| कर्म करें लेकिन उसकी बंधनकारी माध्यम पाप-पुण्य में ना फंसे|
(🤔 निर्वाण! क्रिया होती है किंतु प्रतिक्रिया नहीं होती है
🌞 ॐ शांतिः शांतिः शांतिः - अखंडानंदबोधाय - जय युगॠषि श्रीराम 🙏
Have you ever thought, why all other religiions except #Sanatana considers only men as God? Straight from heart. Opinions are my personal and are in no way intended to hurt emotions of any person or organisation.
Dhaaraa370
Friday, 11 October 2019
Global classes 30.09.19
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