Dhaaraa370

Wednesday 20 March 2019

उड़ने दे गोरी गालों का गुलाल





बसंत पंचमी के दस्तक के साथ हीं मौसम बौराय लगा है, प्रकृति अपने नए रंगों में सज-धज कर हर जन सामान्य को अपने मादकता से मदहोश करने को बेताब होने लगी है.
फिर हमारा गाँव आंती भी इससे कैसे अछूता रह पाता. गाँव के अलग अलग दालान पर शाम होते हीं लोग इकठ्ठा होने लगे हैं. श्रृंगार और मस्ती से भरे होली गाए जाने लगे हैं. कुछ परदेसिया लोग  हैं जो अगजा के आस पास घर पहुंचेंगे.
देखते हीं देखते अगजा (होलिका दहन) का दिन भी आ गया है. बचवन सब बौरायेल है. घर घर घूम रहे हैं और अगजा जमा किया जा रहा है. लोगों को वानरी सेना के आने की सुचना देते हुए जम कर नारेबाजी हो रही है.
                        अगजा दे भाय कगजा दे; मन के ख़ुशी जलावन दे.”
गाँव बड़ा है और समय कम सो बच्चे अपने आप को अलग दलों में बाँट लिए हैं. पछियारी टोला के अनुजवा तो पुरवारी टोला के टेलीफोन सिंह नेतृत्व सम्हाले हुए हैं. देखते हीं देखते गढ़ पर जलावन का अम्बार खड़ा हो गया है. लेकिन ये क्या.
अचानक खेलावन चचा बच्चों की एक दल को खदेड़ते गुए गढ़ पर पहुँच गए हैं. खूब गलिया रहे हैं. जो मन में आया दिए जा रहे हैं.

माय बाप जलमा जलमा के छोड़ देलके ह, देख तो सार हमर खटीवा (bed) उठा के ले लैलके ह.

समझदार लोग बच्चों को समझाने और डांटने की सरकारी कोशिश कर रहे हैं पर साथ में खेलावन दा को चरका पढ़ाने की भी जबरजस्त कोशिश रहे हैं.
“की करभो ददा. इ सब सार बिगड़ के छाय हो गेले ह. माय बाप के सूनवे नै कर है तो हमर तोहर की सुनतै. जाय द अब अगजा पर रखल समान तो उठावल भी पापे है.”

बेचारे खेलावन दा का खटिया का लाइसेन्स बच्चन जी सब मिलके रिनिऊ कर दिहिस हैं.

शाम को ८  बजकर १५ मिनट पर अगजा जलाया जाएगा. सारी तैयारी हो चुकी है. संजय सिंह एक कच्चा बांस काट कर ले आये हैं. बांस को अगजा के ठीक बीचों बीच गाड़ दिया गया है. यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसपर सभी गाँव वालों की नजर रहती है. जी हाँ अक्सर लोग तब तक अगजा के पास हीं रुकेंगे जब तक गडा हुआ बांस किसी एक दिशा में गिर ना जाय. लोगों  की प्रार्थना है कि बांस अग्नि कोण में हीं गिरे. ऐसी मान्यता है कि ऐसा होने से आने वाला साल गाँव के सुख समृद्धि के लिए बहुत अच्छा रहता है.
गाँव वाले होली गाते हुए पहले अगजा का परिक्रमा कर रहे हैं. इसमे भी खूब ठिठोली चल रहा है. अगजा जलाने के लिए पंडित जी आ गए हैं. मंत्रोच्चारण के साथ अगजा फूंका गया है. देखते हीं देखते आग की लपटें आसमान छूने लगी है. सब लोग बूंट (चना) सेंक रहे हैं. जिसे प्रसाद के तौर पर सभी खाते हैं.
जैसे जैसे आग तमाम जलावन को निगलते जा रही है, बांस जो अभी तक शान से खड़ा था झुकने लगा है. यूँ तो रात का वक्त है पर गाँव वालों के चहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ साफ़ देखी जा सकती है. बांस अग्नि कोण के बजाय दूसरी दिशा में झुक गया है. लोग आपस में बतियाने लगे हैं. मलकाना जी कहते हैं,
            इ सब बारा टोल्वा बाला के देन है, गहिडवा बाबा (शंकर भगवन) गोसाल हखिन.

लेकिन देखते हीं देखते बांस की दिशा बदल गयी और फिर वही हुआ जो लोग चाहते थे. बांस अग्नि कोण में गिरा और लोग एक साथ जयकारा लगाये:
                                                “शंकर भगवान की जय”



आज होली है. सुबह में धूरखेली होगा फिर शाम को रंग अबीर खेला जाएगा. लगभग साढे नौ बजे हैं और सारे होलैया (होली गाने वाले का दल) नेता जी के बंगला पर जमा हो रहे हैं. एक विशेष शरबत का व्यवस्था हुआ है, जिसमे सुखा फल, भांग और चीनी मिलाया गया है. पर बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या यह है कि वहां घनघोर एवं कठोर अनुशासन का पालन किया जा रहा है. बी एन सिंह और मत्तु सिंह दोनों मिलकर बच्चन जी को पास फटकने तक नहीं दे रहे हैं. क्यूंकि भांग का नशा बड़ा वैसा वाला होता है. कहते हैं कि भंग का रंग एक बार चढ़ जाय तो हंसने वाला हँसता ही रहता है और रोनेवाला रोता ही रहता है. जैसे तैसे कर के कुछ बच्चे अपना जुगाड़ फिट कर लिए हैं. अब तो होली भी शुरुर पकड़ने लगा है. इसी बीच होली अध्यक्ष श्री हारो दा ( मुखिया जी जो सत्तर साल के सबसे युवा व्यक्ति हैं) एवं उपाध्यक्ष श्री दिनेश शर्मा ( जो उनके कुर्सी के वारिस हैं) का पदार्पण हो गया है. अध्यक्ष जी गले में लौकी लटकाए हैं और उपाध्यक्ष जी बैंगन का माला पहने हुए हैं. भुनी का अभी अभी आये हैं और उनका औल टाइम फेवरिट होली शुरू हुआ है.
            “खम्भवा लागल ठाढ़, खम्भवा लागल ठाढ़; कारण की हौ गे गोरिया
            किया तोरा सास ननद गरियावौ, किया तोरा पिया परदेश हो.
               किया तोरा पिया परदेश, कारण की हौ गे गोरिया.”

बच्चन जी कोरस में सुर मिलाते हैं “ हो हो हो हो होली हो. उनकी औकात भी उतने की है. क्यूंकि पैरू भैया झटाक से डांट दे रहे हैं.
                        धत्त सार, ने गाव है ने गाव दे है.

होलैया का दल निकल चला है. गाँव के गली गली से होकर गुजरेगा और भौजी लोगों से खूब ठिठोली होगी. कोई कोई भौजी तो इतने खतरू हैं कि लोग कन्नी कटा के पहले हीं क्रॉस कर जाते हैं, लेकिन भौजी भी कहाँ पीछे रहने वाली हैं. आज तो मिटटी घोरके भर बालटा (बड़ा बालटी) सुबहे से मोर्चा सम्हाले हुई हैं. मजाल जो कोई बिना गिला हुए गली से निकल जाए. साला भौजी के नाम पर धब्बा न लग जाएगा. होलैया का आगमन हो गया है. मोर्चा दोनों तरफ से बराबर सम्हाल लिया गया है. पहला हमला रामपुर वाली भौजी ने किया, भर कटोरा कीचड़ सीधे पैरु भैया के ऊपर. फिर क्या जंग शुरू. पेरू भैया ने भुनी का को रोका जो अब ढोलक पर साथ दे रहे थे. और हो गए शुरू.
भैया मोर कबीर भले.
                             सैंयाँ अभागा ना जागा, नकबेषर कागा ले भागा.

शाम को रंग अबीर खेलते हुए, इसी तरह जगह जगह पर हमलों का सामना करते लोग आगे बढ़ते रहे और कारवां भी बढ़ता गया. 
कितनी बार भौजी लोग रंग का बैलून से सर्जिकल स्ट्राईक तो कभियो एयर स्ट्राईक भी कर रही हैं।

अब शर्मा जी, सूप जी, दरोगा जी, विधायक जी सब हुजूम में शामिल हो चुके थे. शेखर भी कहाँ मानने वाले थे. नवादा से सब छोड़ छाड़कर घर आ गए हैं. मस्ती भरी टोली आगे बढ़ चली है.  चलते चलते आखिर हम लोग अलगडीहा  पहुँच गए हैं. जद्दु शर्मा जी और हम सभी होलैया दल को छोड़ कर शर्मा जी की टीम ज्वाइन कर लिए हैं. शर्मा जी ने गमछे को सलीके से भौजाई कि तरह ओढ़ लिया है और फिर छेड़ दी सुर:

“चल जा रे हट नट खट तू छू मेरी घूंघट
पलट के दूंगी आज तुझे गाली रे
मोंहे समझो ना तू भोली भाली रे.
धरती है लाल आज, अम्बर है लाल
धरती है लाल आज, अम्बर है लाल
उड़ने दे गोरी गालों का गुलाल
मत लाज का आज घूँघट निकाल
दे दिल की धड़कन पे, धिनक धिनक ताल
झाँझ बजे शँख बजे, संग में मृदंग बजे
अंग में उमंग खुशियाली रे
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे
अरे जा रे हट नटखट ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो तुम भोली भाली रे”

बस अब घर लौट चलने की बारी थी. अपने दोस्तों के हाथ पकडे भारी कदम से सब लौट चले अपने अपने घोंसले को.

उन दिनों को आज दूर बैठ कर याद करने मात्र से जो रोमांच आज पैदा हो जाता है, वो किसी पीवीआर में बैठकर भी नहीं आ सकता है.

पर क्या करें जिंदगी की दौड़ है, सो दौड़ रहे हैं. न रास्ते का पता न मंजिल का, बस दौड़े चले जा रहे हैं.
इस उम्मीद में कि फिर कभी वो उजाला आएगा जब हम अपने गाँव की गलियों में भौजी के आक्रमण का सामना नए अध्यक्ष श्री दिनेश शर्मा जी के नेतृत्व में कर सकेंगे.

आप सभी साथियों को होली हार्दिक शुभकामनाएं.


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