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Thursday, 25 April 2019

पंचकोश साधना An inward journey with Shri Lalbihari Singh (Panchkosh Researcher)




तमाम चुनौतियों के मद्देनजर, श्री लालबिहारी सिंह (बाबूजी) का हैदराबाद प्रवास एवं चार दिनों का पंचकोश साधना कार्यशाला महाकाल के उग्र घोषणा का हीं परिणाम था. परम पूज्य गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य जी सूक्ष्म संरक्षण में तीन अलग अलग स्थानों पर कार्यशाला का सफल आयोजन अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.
पंचकोश साधना 

यह एक शुभ संकेत है कि आनेवाले दिनों में युगद्रष्टा, तपोनिष्ठ, प्रज्ञावतार परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा सर्वसुलभ किये गए गायत्री विज्ञान का पंचकोश साधना  आम और खाश, बच्चे और बुजुर्ग, पुरुष और महिला, स्वस्थ और रोगी, गरीब और अमीर, वैज्ञानिक और निरक्षर, जवान और किसान सबके जीवन में एक खुशनुमा रोशनी लेकर आनेवाला है. युगपरिवर्तन की इबारत लिखी जाने लगी है. युग सैनिकों ने कमान सम्हाल लिया है और निकल पड़े हैं धरती पर सतयुग के अवतरण की गुरु वचन को पूरा करने के लिए.

पहले दो दिन का कार्यक्रम Dy CDA एवं युवा साथियों की गरिमामयी उपस्थिति में लेखानगर, सभागार में हुआ. लोगों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया. ख़ुशी इस बात की है कि बच्चे भी इस साधना में बढ़ चढ़ कर भाग लिए और सभा में उपस्थित लोगों को भरोसा दिलाया कि वे इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करेंगे. 




अभिभावकों के लिए इससे बढ़कर ख़ुशी की बात क्या हो सकती थी कि जो काम वे नहीं कर पा रहे थे, वही काम बाबूजी के एक सत्र ने संभव कर दिया.


तीसरे दिन का कार्यक्रम BHEL Research and Development Centre, Hyderabad के सभागार में मानव संसाधन विकास विभाग (HRD) के उप महा प्रबंधक (Dy. General Manager) श्री मती सरस्वती मैडम एवं युवा अभियंताओं की वैज्ञानिक सोच को पदार्थ विज्ञान से परे चेतना विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराया. 
इस कार्यक्रम में आई टी सेक्टर के कई युवा इंजिनियर भी शामिल हुए.

चौथे दिन का कार्यक्रम Natco Pharmaceutical Research and Development Centre में हुआ. डॉ प्रसन्ना गारू , प्रबंधक श्री आनंद गारू सहित १०० से ऊपर रिसर्च वैज्ञानिकों के समक्ष वैज्ञानिक अध्यात्मवाद, पंचकोश विज्ञान एवं मेडिकल साइंस के बीच स्पष्ट संबंधों को बाबुजी ने सहज तरीके से समझाया और सफल एवं सुखद जीवन के सूत्रों को कुछ इस प्रकार बताया.




संसार की सबसे प्रमुख जरुरतों में से कुछ को चुना जाए तो वो निम्नलिखित हो सकती हैं.

         १.      Holistic health (Everlasting youthfulness )
      २.      Everlasting energy level
      ३.      Higher IQ (Intelligence Quotient)
      ४.      Balanced EQ (Emotional Quotient)
      ५.     Superior SQ (Spiritual Quotient)



बाबूजी ने चुटीले अंदाज में गुरुदेव के उस बयां को दुहराया जिसमे आज के लोगों का फीगर देखकर वे कहा करते थे कि आज कल रोड पर ढेरों चलते फिरते नाशपाती नजर आते हैं. अर्थात स्वास्थ्य एक गंभीर समस्या बन गया है.
व्यक्ति बहुत जल्दी थक रहा है. संवेदनहीनता के कारण आपसी सम्बन्ध बिगड़ रहे हैं, आतंकवादी घटनाये एवं अपराध चरम पर है, समाज एवं पर्यावरण के प्रति सम्वेदानहीनता से प्रदुषण बढ़ा है, पौधे काटे जा रहे हैं.
इन सबका इलाज है ऊपर के पाँचों विभागों को ठीक रखना जो कि पंचकोश साधना से यूँ हीं किया जा सकता है.

श्री लाल बिहारी बाबूजी ने खुद का उदहारण प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि यह सब कुछ पाया जा सकता है और जिंदगी के सारे व्यस्तताओं के बीच पाया जा सकता है. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि कोई भी रोग,शोक, अभाव उन्हें नहीं सता सकता, क्यूंकि उन्होंने अपने पांच कोशों को साध लिया है. आइये बाबूजी के मार्गदर्शन में पंचकोश की यात्रा में आगे चलते हैं. पंचकोश विज्ञान के अनुसार हमारी आत्मा पांच आवरणों के अन्दर बसा है. जो कि निम्नलिखित हैं.




           १.      अन्नमय कोश   or Physical body (Bio Plasmic body)
         २.      प्राणमय कोश or Etheric body (bio electric body)
         ३.      मनोमय कोश  or Astral body (Bio magnetic body)
         ४.      विज्ञानमय कोष  or Cosmic body (personality)  
          ५.      आनंदमय कोश  or Causal body (Consciousness)

बाबूजी ने इन कोशों की शुद्धिकरण से जुड़े तकनीक एवं उसके फायदे बताये जो नीचे दिए जा रहे हैं.

आगे अध्यात्म विज्ञान में दर्शाए गए चक्रों कि वैज्ञानिकता बताते हुए उन्होंने दिखाया कि महत्वपूर्ण ग्लैंड्स और चक्रों के बीच एक सम्बन्ध है जिसे वही समझ सकता है तो वैज्ञानिक अध्यात्म के सिद्धांतों को समझा है.




इस प्रकार यह पूरी तरह स्पष्ट है कि अध्यात्मिक चक्र कुछ और ना होकर आज का वैज्ञानिक ग्लैंड्स हीं है और हमारे पंचकोश साधना के अंतर्गत वैसे तकनीक हैं जिससे इन ग्लैंड्स को स्वस्थ बनाये रखकर जीवन भर निरोग रहा जा सकता है

APMB (आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बंध) जैसे अध्यात्मिक तकनीक को कोई भी अपना सकता है जिसका प्रत्यक्ष उदहारण बाबूजी ने पेश किया. उन्होंने दिखा दिया कि दुनियावी जीवन जीते हुए भी ७५ वर्षों की आयु में, दुर्घटना से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए शरीर से भी कठोर आसन किया जा सकता है.



अगर आप में से कोई भी पंचकोश साधना का लाभ लेना चाहते हैं तो निचे दिए लिंक पर


पांच वर्षीय पञ्च कोश साधना कोर्स में दाखिला ले सकता है और बाबूजी के दिशा निर्देश में जीवन को शानदार बना सकता है.

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