Dhaaraa370

Showing posts with label Vote. Show all posts
Showing posts with label Vote. Show all posts

Saturday 9 March 2019

जशोदा का अंतर्द्वंद

Register to vote
https://eci.gov.in/voter/voter/


जशोदा का अंतर्द्वंद
आज जशोदा बहुत ही खिन्न थी. विकाश के आदर्शवाद और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे भारी भरकम शब्दों के बोझ तले मानों दबी जा रही थी. घर के नियमित कामों में व्यस्त अपने आप को कोसते कोसते कब रसोईघर गई और चाय बना लाई, पता ही नहीं चला. 
जरा सा हिलने डुलने मात्र से चूं चां करने लग जाने वाली कुर्सी पर बैठकर लिक्कर चाय (काली चाय) की चुस्की लेते हुए जशोदा अपने आप से कानाफूसी करने लगी- ना जाने किस जनम के पापकर्म थे जो ऐसा निन्गोड़ा पति मिला है. इससे तो अच्छा होता कुंवारी ही मर जाती. चाय की निकोटिन भावनाओं के वेग को और गति प्रदान कर रही थी. भावनाओं का प्रबल प्रवाह आज सारी हदें पार कर जाने को मचल रही थी. जशोदा भी आज उसे पूरा सहयोग कर रही थी. वह बडबडाती जा रही थी- ” कौन समझाये इस मुन्हझौसें को कि स्कूल से लेकर कोचिंग क्लास तक, शब्जी वाले से लेकर दूधवाले तक सबके सब को रोकड़ा चाहिए होता है. वहां आदर्शवाद का चेक कोई नहीं लेता. इस कलमुंहे को क्या पता मुझपे क्या गुजरती है, जब गहनों से लदी शर्माइन मुझसे पूछती है, इस तीज भाई साहब ने आपको क्या प्रेजेंट किया? हाथ में चाय की प्याली लिए कुर्सी पर बैठी जशोदा एक टक बल्ब को घूरे जा रही थी. जब भी जशोदा विचारों की दुनिया में होती तो उसका एकमात्र सहचर हौल में लगा बल्ब हीं तो होता था. कब घंटा बीत गया पता ही नहीं चला. विचारों की दुनिया से जब जशोदा बाहर निकली तो बल्ब ने प्यार से कहा, जशोदा तुम्हारी चाय ठंढी हो गयी हैं , जाकर गरम कर लो. जशोदा एक आज्ञाकारी बालिका की तरह रसोईघर की ओर चल पड़ी.
घंटे भर के वैचारिक रस्साकस्सी के बाद चाय भी ख़त्म हो गई थी और विचारों का उच्छ्रिन्खल प्रवाह भी. एक सुकून भरा हल्कापन महसूस कर रही थी जशोदा. 
कहते हैं कि जिस तरह उबलते पानी में अपना अक्स भी साफ़ साफ़ नहीं दिखता ठीक उसी प्रकार विचारों की उफान में आप किसी की शख्सियत को भी ठीक से कहाँ परख पाते हैं. जो जशोदा घंटा भर पहले विकाश की इज्जत की मिट्टी पलीद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, वही जशोदा यह सोच सोच कर मन ही मन फुदक रही थी कि मेरा  विकाश चाहे खुद के लिए और परिवार के लिए कितना ही कठोर क्यों न हो लेकिन दुनिया के लिए एक सच्चा सहृदयी इन्सान है. उसकी बेचारगी इस बात में है कि वह किसी दुखी को देखकर खुद दुखी हो जाता है, उसकी परेशानी का हल निकालने में वह इस कदर मशगुल हो जाता है कि…..
जशोदा के मन में विकाश के प्रति नाराजगी की भाव के मजबूत किले में सम्मान के भाव के सिपाहियों ने सेंधमारी शुरू कर दी थी.
क्रमश: जारी 

How to apply for enhanced Pension (EPS95) on EPFO web site: Pre 2014 retirees

                 Step wise guide A) Detailed steps. 1. Open EPFO pension application page using the link  EPFO Pension application The page ...