"Smash Brahmmanical Patriarchy" का पोस्टर हाथ में थामे श्री जैक डोरसी और उनके तथाकथित संभ्रांत दोस्त को शायद 'ब्राह्मण" शब्द की समझ नहीं है या फिर हिंदु और हिंदुस्तान के प्रति नफ़रत का नतीजा है कि वे ब्राह्मण और ब्राहमणत्व को समाप्त करने में अपनी उपलब्धि समझ रहे हैं. लेकिन आप के लिए यह जरुरी है कि आप समझ लें, ब्राह्मण किसे कहते हैं और ब्राह्मण कोई जाति विशेष का नाम है या फिर कुछ और.
आइये जानें ब्राह्मण होता कौन है ? हमने भारतीय धर्म ग्रंथों से यह समझने की कोशिश की है कि ब्राह्मण कौन है, आप भी देखें और अपना कमेंट दें.
1.
भगवान बुद्ध अनाथ पिण्डक के जैतवन
में ग्रामवासियों को उपदेश कर रहे थे। शिष्य, अनाथ पिण्डक
भी समीप ही बैठा, धर्मचर्चा का लाभ ले रहा था। तभी सामने से महाकाश्यप, मौद्गल्यायन, सारिपुत्र, चुन्द
और देवदत्त आदि आते हुए दिखाई दिये। उन्हें देखते ही बुद्ध ने कहा- वत्स! उठो! यह
ब्राह्मण मण्डली आ रही है, उसके लिए योग्य आसन का प्रबन्ध करे।
अनाथ पिण्डक ने आयुष्मानों की ओर दृष्टि दौड़ाई, फिर
साश्चर्य कहा- भगवन्! आप सम्भवतः इन्हें जानते नहीं। ब्राह्मण तो इनमें कोई एक ही
है, शेष कोई क्षत्रिय, कोई वैश्य
और कोई अस्पृश्य भी है।
गौतम बुद्ध अनाथ पिण्डक के वचन सुनकर हँसे और बोले- “तात! जाति जन्म से नहीं गुण, कर्म और स्वभाव से पहचानी जाती है। श्रेष्ठ, रागरहित, धर्मपरायण, संयमी
और सेवा भावी होने के कारण ही इन्हें मैंने ब्राह्मण कहा है। ऐसे पुरुष को तू
निश्चय ही ब्राह्मण मान– जन्म से तो सभी जीव शूद्र होते हैं।”
-akhand Jyoti by AWGP 1986
2 “निरुक्त शास्त्र” के प्रणेता यास्क मुनि इसीलिए कहते
हैं
जन्मना जायते
शूद्रः संस्कारात् भवेत द्विजः।
वेद पाठात् भवेत् विप्रःब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः।।
वेद पाठात् भवेत् विप्रःब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः।।
अर्थात – व्यक्ति
जन्मतः शूद्र है। संस्कार से वह द्विज बन सकता है। वेदों के पठन-पाठन से विप्र हो
सकता है। किंतु जो ब्रह्म को जान ले, वही ब्राह्मण कहलाने का सच्चा
अधिकारी है।
3 भगवद गीता में
श्री कृष्ण के अनुसार
“शम, दम, करुणा, प्रेम, शील (चारित्र्यवान), निस्पृही जेसे गुणों का स्वामी ही ब्राह्मण हे”
“शम, दम, करुणा, प्रेम, शील (चारित्र्यवान), निस्पृही जेसे गुणों का स्वामी ही ब्राह्मण हे”
4 सत्य
यह हे कि केवल जन्म से ब्राह्मण होना संभव नहीं हे.
कर्म से कोई भी ब्राह्मण बन सकता हे यह सत्य हे.
कर्म से कोई भी ब्राह्मण बन सकता हे यह सत्य हे.
इसके कई
प्रमाण वेदों और ग्रंथो में मिलते हे जेसे…..
(a) ऐतरेय ऋषि दास अथवा अपराधी के
पुत्र थे | परन्तु
उच्च कोटि के ब्राह्मण बने और उन्होंने ऐतरेय ब्राह्मण और ऐतरेय उपनिषद की रचना की| ऋग्वेद को
समझने के लिए ऐतरेय ब्राह्मण अतिशय आवश्यक माना जाता है|
(b) ऐलूष ऋषि दासी पुत्र थे | जुआरी और
हीन चरित्र भी थे | परन्तु
बाद मेंउन्होंने अध्ययन किया और ऋग्वेद पर अनुसन्धान करके अनेक अविष्कार किये|ऋषियों ने
उन्हें आमंत्रित कर के आचार्य पद पर आसीन किया | (ऐतरेय ब्राह्मण २.१९)
(c) सत्यकाम जाबाल गणिका (वेश्या) के
पुत्र थे परन्तु वे ब्राह्मणत्व को प्राप्त हुए |
(e) क्षत्रियकुल में जन्में शौनक ने
ब्राह्मणत्व प्राप्त किया | (विष्णु
पुराण ४.८.१) वायु, विष्णु
और हरिवंश पुराण कहते हैं कि शौनक ऋषि के पुत्र कर्म भेद से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और
शूद्र वर्ण के हुए| इसी
प्रकार गृत्समद, गृत्समति
और वीतहव्यके उदाहरण हैं |
(f) मातंग चांडालपुत्र से ब्राह्मण बने
|
(g) ऋषि पुलस्त्य का पौत्र रावण
अपनेकर्मों से राक्षस बना |
(h) विश्वामित्र
स्वयं क्षत्रिय थे परन्तु बाद उन्होंने ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया |
(i) विदुर दासी पुत्र थे | तथापि वे
ब्राह्मण हुए और उन्होंने हस्तिनापुर साम्राज्य का मंत्री पद सुशोभित
किया |
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अतएव “वर्ण
निर्धारण” …गुण
और कर्म के आधार पर ही तय होता हैं, जन्म के आधार पर नहीं.
कुछ भ्रमित
लोग विदेशी ताकतों के साथ मिलकर हमारे सत्य सनातन धर्म को बांटना चाहते हैं, उनकी कुत्सित मंशा को अपने ज्ञान एवं क्षमता के द्वारा विफल करना आज के ब्राह्मणत्व की मांग
है.
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